सिंगापुर के टैक्स अधिकारियों ने भारत को सूचित किया है कि वे अब मनी लॉन्ड्रिंग या इससे संबंधित मामलों में किसी भी प्रकार की सूचना स्वेच्छा से साझा नहीं करेंगे। सिंगापुर के इस फैसले से भारत को अधिकारिक सूत्रों के हवाले से आगाह किया गया है। सिंगापुर का यह कदम भारत के लिए महंगा साबित हो सकता है क्योंकि वैध और अवैध दोनों रूप से भारत में और भारत के बाहर आने-जाने वाले पैसों के बारे में पता लगाने के इंटरनैशनल फाइनैंशल हब के रूप में सिंगापुर उभरा है।
सिंगापुर के गुस्से का कारण भारतीय मीडिया में प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के हवाले से कांग्रेस नेता और उद्योगपति नवीन जिंदल के कथित अघोषित विदेशी बैंक खातों के बारे में रिपोर्ट का प्रकाशित होना है। सिंगापुर के संदिग्ध लेनदेन रिपोर्टिंग अधिकारी (एसआरटीओ) ने इस रिपोर्ट को आड़े-हाथों लिया। जिंदल से संबंधित जानकारी एसटीआरओ ने भारत का हवाला दिए बगैर साझा की थी। एसटीआरओ भारतीय वित्तीय खुफियाई इकाई की समकक्ष एजेंसी है।
सिंगापुर अथॉरिटीज ने वित्त मंत्रालय को बताया है कि गोपनीयता के उल्लंघन के कारण वित्तीय खुफिया इकाइयों (एफआईयू) के बीच मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी जानकारी साझा करने की जो व्यवस्था बनी थी, अब कमजोर हो गई है। एफआईयू को एगमॉन्ट ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है जिसमें भारत और सिंगापुर भी शामिल है। इसके अलावा एक से ज्यादा सरकारी सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों की खुफिया वित्तीय इकाइयों के बीच होने वाले सूचना के लेन-देन से अवगत थे।
जब सिंगापुर के एसटीआरओ से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मामले पर टिप्पणी करना अनुचित है। इस साल अप्रैल में ईडी के सूत्रों ने खुलासा किया था कि एजेंसी ने विदेशी विनियम अधिनियम के कथित उल्लंघन के लिए जिंदल और उनके परिवार के खिलाफ जांच शुरू की है क्योंकि सिंगापुर में एक स्विस प्राइवेट बैंक में उनके चार खाते हैं।
सूत्रों ने कहा थ , ‘बैंक जुलियस और बाएर कंपनी लि. में चार खाते खोले जाने के बारे में हमें सिंगापुर की वित्तीय खुफिया इकाई से सूचना मिली थी। आरबीआई ने हमें बताया कि इसके पास इन चार खातों के होने के बारे में कोई सूचना नहीं है।’ वहीं, जिंदल ग्रुप ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि उनको इस संबंध में कोई नोटिस या सूचना नीं मिली।
भारत अपने देश के निवासियों को करीब 1.5 करोड़ रुपये हल साल कैपिटल या करेंट अकाउंट ट्रांजैक्शन में खत्म करने की अनुमति देता है। लेकिन विदेश में खाता खुलवाने पर आरबीआई के साथ सूचना साझा करनी होगी।