भोपाल – व्यापमं घोटाले में राज्यपाल रामनरेश यादव को हटाए जाने की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्यपाल और मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। उधर गुरुवार को ही राज्यपाल ने भोपाल के राजभवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसमें सभी लोग उपस्थित हुए, लेकिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। इससे माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री और भाजपा ने राज्यपाल से दूरी बनाना शुरू कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद व्यापमं घोटाले में फंसे मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव की कुर्सी जानी तय मानी जा रही है। उन्हें हटाने या न हटाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तो बाद में सुनवाई करेगा, लेकिन केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर रामनरेश यादव के खिलाफ व्यापमं में संलिप्तता के आरोपों और सुप्रीम कोर्ट के ताजा नोटिस की जानकारी दी।
फिलहाल रामनरेश यादव पर खुद ही पद से इस्तीफा के लिए दबाव बनाया जा रहा है। संभवत: वह इस्तीफा दे भी दें। ऐसा नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सूचना मिलने के बाद ही गृहमंत्री ने अपने अधिकारियों के साथ सलाह-मशविरा शुरू कर दिया था।
इस सिलसिले में उन्होंने गृह सचिव एलसी गोयल व अन्य अधिकारियों से बात की। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों का कहना था कि रामनरेश यादव को हटाने या उनका इस्तीफा लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। बैठक के बाद राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति को पूरी स्थिति से अवगत कराया।
पुराने एफआईआर की जानकारी दी और इसका आधार तय हो गया कि राज्यपाल से इस्तीफा मांगा जाए। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के सामने रामनरेश यादव को पद से हटाने की मांग भी की गई थी, लेकिन कोर्ट ने उसे ठुकराते हुए कहा कि पहले राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक मामला पर विचार होगा। इसकी सुनवाई बाद में होगी। बहरहाल, कोर्ट की सुनवाई से पहले ही रामनरेश यादव राज्यपाल के पद से हट सकते हैं।
रामनरेश यादव के बेटे शैलेष और उनके ओएसडी रहे धनराज यादव संविदा शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोपी हैं। धनराज जेल में हैं और राज्यपाल के बेटे शैलेष की संदिग्ध हालत में लखनऊ में मौत हो चुकी है। राज्यपाल खुद भी इस मामले में 10वें नंबर के आरोपी थे। एक आरोपी वीरपाल ने राजभवन में तीन लाख रुपये देने का बयान एसटीएफ को दिया था। हाईकोर्ट ने गवर्नर की पिटीशन पर कहा कि वे जब तक पद पर हैं, उनकी जांच नहीं की जा सकती है।