नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विज्ञान भवन में 46 वें श्रमिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम श्रम करने वालों को आदर से नहीं देखते हैं, ये धारण बदलकर श्रमिकों को सम्मान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रमिक रहेगा दुखी तो देश कैसा रहेगा सुखी, मंगलम अर्थव्यवस्था में श्रमिकों का विकास जरूरी है। उन्होंने कहा कि श्रमिक संगठनों के साथ सरकार की बातचीत चल रही है।
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मालिक और श्रमिक में परिवार का भाव होना चाहिए। सिर्फ कानून से व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता है, श्रमिकों का शोषण करने वालों के खिलाफ कानून की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में श्रमिकों को विश्वकर्मा कहा जाता है। श्रमिक खुद के सपने तोड़कर दूसरों के सपने संजोता है। भारत दुनिया का सबसे नौजवान देश है, जिसके लिए स्किल डवलपमेंट की जरूरत है। मजदूरों के कौशल को निखारने के लिए केन्द्र सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं और आगे भी इस दिशा में काम जारी रहेगा।
मोदी ने कहा कि कभी-कभी हम उद्योग को बचाना चाहते हैं, लेकिन उद्योगपित को बचा लेते हैं। देश में लगभग तीन लाख नौजवान अप्रेंटिसशिप पर हैं, जिन्हें 20 लाख करने की जरूरत है। चीन, जापान और जर्मनी की तरह सरकार अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम बनाना चाहती है।
‘उन्होंने कहा कि देश में बहुत प्रधानमंत्री हुए हैं, श्रमिकों का सबसे ज्यादा हक मुझ पर है। मैं गरीबी से निकलकर आया हूं, मुझे श्रमिक का दर्द पता है। मैं श्रमिक संगठनों और सरकार की पार्टनरशिप से आगे बढ़ाना चाहता हूं। श्रम कानूनों का सरलीकरण करना चाहता हूं। देश के विद्वान कहते हैं कि बड़ा काम करो, मेरे लिए बड़ा काम श्रमिकों के लिए काम करना है। ‘
पीएम मोदी ने कहा कि मैं श्रमिकों के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंतित हूं, जल्द ही श्रमिकों के मेडिकल रिकॉर्डस को ऑनलाइन कर दिया जाएगा।