नई दिल्ली – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही अनिश्चितताओं के बीच देश की अर्थव्यवस्था से भी कोई खास शुभ संकेत नहीं मिलने से सरकार खासी चिंतित है। देश की अर्थव्यवस्था को किस तरह से तेज विकास की पटरी पर फिर से लाया जाए, इसको लेकर शीर्ष स्तर पर विचार विमर्श का दौर शुरू हो चुका है।
सोमवार को यहां वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों के बीच बैठक हुई और मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों व अर्थविदों के बीच बैठक होगी। प्रधानमंत्री यह जानने की कोशिश करेंगे कि मौजूदा हालात से निपटने के लिए किस तरह के आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, आर्थिक मुद्दों पर यह राजग सरकार की अभी तक की सबसे अहम बैठक होने जा रही है।
सूत्रों की मानें तो तकरीबन 27 लोगों को बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी, टाटा समूह के साइरस मिस्त्री, फिक्की, एसोचैम व सीआईआई के अध्यक्षों के अलावा तमाम बड़े उद्योगपति हिस्सा लेंगे। इसके अलावा प्रमुख अर्थशास्त्री व कई बैंकरों को भी आमंत्रित किया गया है। आरबीआई गवर्नर डॉ. रघुराम राजन और नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया भी हिस्सा लेंगे। यह बैठक सिर्फ देश के सामने उत्पन्न चुनौतियों पर बहस करने के लिए ही नहीं बुलाई गई है बल्कि जो वैश्विक हालात पैदा हो रहे हैं उसका भारत किस तरह से फायदा उठाए, इसके लिए सरकार की भावी रणनीति की दिशा भी तय करेगी।
देश विदेश के कई जानकारों का कहना है कि चीन की अर्थव्यवस्था में आई कमजोरी भारत के लिए कई तरह के अवसरों के द्वार खोल सकती है। पीएम सीधे उद्यमियों और अर्थविदों से यह जानने की कोशिश करेंगे कि भारत इस अवसर का किस तरह से फायदा उठा सकता है। बैठक में हर किसी को तीन मिनट बोलने का मौका दिया जाएगा।
माना जा रहा है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक, जीएसटी, श्रम सुधार जैसे कई मुद्दे उसमें उठेंगे। उद्योग जगत की तरफ से ब्याज दरों के उच्च स्तर और सरकार की तरफ से अभी भी मंजूरी मिलने में आने वाली दिक्कतों का मुद्दा उठाया जाएगा। नवनियुक्त वित्त सचिव आरपी वातल ने सोमवार को इस बैठक की तैयारी को लेकर वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर लंबित नीतिगत मुद्दों की समीक्षा भी की। वातल ने वित्त मंत्रालय के विभिन्न विभागों में लंबित पड़े मुद्दों पर शीघ्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया। वित्त मंत्रालय में इस तरह की बैठकें अब हर सप्ताह होंगी।