नई दिल्ली – गुड़गांव के डीएलएफ फेस-2 के एक फ्लैट में करीब साढ़े तीन माह से कैद नेपाल की दो युवतियों को पुलिस ने मुक्त कराया, वह दार्जिलिंग की रहने वाली युवती नीतू की बहादुरी से संभव हो पाया।
नेपाली युवतियों को जिस जगह बंधक बनाकर सऊदी अरब के लोगों के सामने पेश किया जा रहा था।
वहां घरेलू काम के लिए रखी गई नीतू पूरा माजरा समझने के बाद आरोपियों के चंगुल से भाग निकली और एनजीओ पहुंचकर सारी बात बताई।
मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाली गैर सरकारी संस्था मैती इंडिया के प्रतिनिधि बालकृष्ण पांडे ने बताया कि नेपाली युवतियों को वहीं के मोरंग जिले की एजेंट कल्पना ने सऊदी अरब में नौकरी का लालच देकर उन्हें दक्षिण भारत के अनवर नाम के एक एजेंट के पास भेज दिया।
आरोप है कि कल्पना ने मई में दोनों युवतियों को एक लाख रुपये में अनवर को बेच दिया था। फिर वह करीब 15 दिन जेद्दा एक होटल में रखी गईं।
वहां से उन्हें गुड़गांव के डीएलएफ फेज-2 स्थित कैटरोईना फ्लैट में एक ऐसे व्यक्ति के पास भेज दिया गया, जो सऊदी अरब एंबेसी से जुड़ा होने का दावा करता है। पांडे के मुताबिक फ्लैट में सऊदी अरब के लोग आकर इन दोनों युवतियों से दुष्कर्म करते थे।
करीब दस दिन पहले दार्जिलिंग की रहने वाली नीतू नाम की लड़की को यहां लाया गया। वह गलत काम नहीं करना चाहती थी। इसलिए एक दिन मौका पाकर फ्लैट से भाग निकली।
उसने एनजीओ से संपर्क साधा और फिर एनजीओ ने नेपाल दूतावास और गुड़गांव पुलिस को जानकारी दी।
पांडे ने बताया कि जब एएसआई कश्मीरी सिंह, कांस्टेबल मनीषा, मैती इंडिया के विजय लांबा और मोहन शाक्य सोमवार दोपहर फ्लैट पर पहुंचे तो लड़कियां रो रही थीं।
पुलिस वहां पहुंची तो लड़कियों के चीखने की आवाज आ रही थी। उन्हें छुड़वाते वक्त वहां मौजूद महिलाओं एवं अन्य लोगों ने टीम से हाथापाई की।
एक घंटे में वहां एंबेसी की कुछ गाड़ियां और काफी संख्या में पुलिस पहुंच गई। आशंका जताई गई है कि कुछ बड़ी हस्तियों को खुश करने के लिए उनके सामने नेपाली युवतियों को पेश किया जाता था।
वहीं एसीपी अपराध राजेश कुमार का कहना है कि मौके पर एंबेसी की गाड़ियां आने की कोई सूचना नहीं है। आरोपियों को पकड़कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।