नई दिल्ली – भारत के उलमा और मुफ्तियों ने पहली बार फतवा जारी करते हुए आईएस के खिलाफ तीखी आवाज बुलंद की है। इस फतवे पर शाही इमाम बुखारी, अजमेर शरीफ सहित 1070 मजहबी संस्थाओं ने अपने दस्तखत किए हैं। फतवे की प्रति संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया के कई देशों को भेजी गई है जिसमें आईएस को गैर-इस्लामी व अमानवीय बताया गया है।
दुनिया में भारत के मुसलमानों ने पहली बार खुले रूप से आईएस के खिलाफ आवाज उठाई है। देश के 1000 से अधिक उलमा व मुफ्तियों ने फतवे पर दस्तखत करते हुए आतंकी संगठन आईएस को ‘गैर-इस्लामिक’ और ‘अमानवीय’ करार दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी और संयुक्त राष्ट्र समेत फतवे की प्रति दुनिया के 50 मुल्कों को भेजी गई है, जिसमें इराक व सीरिया में आईएस द्वारा महिलाओं व पुरुषों की भर्ती को निंदनीय बताया।
[box type=”note” ]-‘‘दुनिया में भारत एकमात्र ऐसा मुल्क हैं जहां के मुसलमानों ने इतनी बड़ी तादात में इस्लाम के नाम पर तबाही मचाने वाले आतंकवादियों के खिलाफ आवाज उठाई है। हम भारतीय हैं और किसी भी सूरत में न तो अत्याचार का समर्थन करते हैं और न ही अत्याचारियों का।’’
-अब्दुर्रहमान अंजारिया, मुस्लिम नेता[/box]
फतवे पर शाही इमाम अहमद शाह बुखारी और अजमेर शरीफ, हजरत निजामुद्दीन संस्था, जन्नते उलमा हिंद, जमीयते एहले हदीस (मुंबई), मोइनुद्दीन कचहचा शरीफ, रजा एकेडमी समेत 1070 बड़ी इस्लामिक संस्थाओं ने अपना मत रखा।
फतवे में मुंबई की इस्लामिक संस्था के मंजर हसन खान अशरफी मिस्बाही ने कहा कि आईएस द्वारा जो गतिविधियां चलाई जा रही हैं उसका न तो इस्लाम से कोई संबंध है और न ही उसका समर्थन किया जा सकता है।
मुस्लिम नेता अब्दुर्रहमान अंजारिया ने कहा कि यह फतवा दुनिया के लिए भारत का एक पैगाम भी है जो बताता है कि भारत में इस्लाम को सही रूप में ही स्वीकार किया जाता है।
फतवा जारी करने वाली संस्थाओं को संयुक्त राष्ट्र ने अपनी स्वीकृति भेजते हुए आश्वस्त किया है कि वह इस मसले पर आगे काम कर रहा है।