नई दिल्ली –बिहार की लड़ाई में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मोदी पर हमले के लिए अपनाया गया ‘डीएनए’ अस्त्र अब पीएमओ की मुसीबत बनने वाला है। बिहार से हजारों की संख्या में भेजे गए डीएनए के लिए सैंपल पीएमओ के लिए सरदर्द बनते दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से प्रधानमंत्री के लिए भिजवाए जा रहे बिहारियों के डीएनए के इन सैंपल का निर्माण विहार स्थित पोस्ट ऑफिस में ढेर लगता जा रहा है। आलम ये है कि वहां लाखों की संख्या में ऐसे बैग इकट्ठे हो गए हैं जिनमें नाखून और बाल के सैंपल हैं।
पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों की दिक्कत ये है कि इन नमूनों को भिजवाएं तो कहां और यहां रखें तो कब तक। जबकि बिहार से लगातार इन नमूनों को पीएमओ ऑफिस के लिए भेजा जा रहा है। पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों ने इस संबंध में पीएमओ से भी जानकारी मांगी थी लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिल रहा।
नतीजतन निर्माण विहार स्थित पोस्ट ऑफिस में रोजाना बिहार से आने वाले डीएनए सैंपल्स का ढेर बढ़ता ही जा रहा है। हर सैंपल के साथ एक लैटर रहता है।
पीएमओ के लिए आने वाले हर लैटर और सामान को पूरी हिफाजत से रखा जाता है, इसलिए इन सैंपल की भी पूरी हिफाजत की जा रही है।
पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों को इससे बढ़कर चिंता ये सता रही है कि आने वाले दिनों में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जाएगा बिहार से आने वाले इन डीएनए नमूनों और चिट्ठियों में इजाफा होता जाएगा।
ऐसे में लाखों की संख्या में आने वाले चिट्ठियों और डीएनए के सैंपल के रखरखाव की व्यवस्था कैसे की जाएगी इसको लेकर अधिकारी चिंता में हैं।
बीती 25 जुलाई को बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा से नाता तोड़ने पर नीतीश कुमार के राजनीतिक डीएनए पर सवाल उठा दिया था। इस मुद्दे को भुनाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे बिहार की अस्मिता से जोड़ते हुए पीएम पर निशाना साध दिया।
उन्होंने इसे बिहार के लोगों का अपमान बताते हुए 50 लाख बिहारियों का डीएनए प्रधानमंत्री मोदी को भेजने की घोषणा कर दी। इसके बाद से ही नीतीश कुमार ने इसे राजनीतिक मुद्दा भी बना लिया और प्रदेश भर में जगह जगह डीएनए के लिए बाल और नखून के सैंपल के लिए कैंप लगा दिए।
जहां डीएनए के लिए सैंपल एकत्र कर प्रधानमंत्री मोदी को भेजे जा रहे हैं। अब यही सैंपल पीएमओ क्षेत्र के निर्माण विहार स्थित पोस्ट ऑफिस में इकट्ठा होते जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इन सैंपलों की संख्या फिलहाल एक लाख के पार जा चुकी है।