खंडवा– कलयुग में सरकारी नुमाइंदों ने भगवान श्रीराम को 12 साल का वनवास दे दिया। वनवास का समय यहीं खत्म हो जाए यह भी जरुरी नहीं है। सतयुग में भगवान श्री राम को 14 साल का वनवास चुना था। कलयुग में भी सरकारी फाइलों के चक्कर में वे अब तक 12 साल का वनवास भुगत चुके है। और उन्हे वनवास से मुक्ति कब मिलेगी इस बात का इंतजार है। इंतजार इस बात का है कि कब उन्हे पूर्ण मुआवजा मिलेगा और कब मंदिर में स्थापित हो पायेंगे। कलयुग में उन्हे परिवार सहित वन तो नहीं लेकिन टीन के टपरे का आशियाना मिला है।
लाल अफसरशाही की एक बानगी यह भी है कि इंसान तो इंसान भगवान को भी मुआवजे के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। डूब प्रभावित पुराने हरसूद के एक ग्राम में श्रीराम लला को 12 सालों से पुर्नवास के बाद मुआवजे का इंतजार है। पूर्ण मुआवजा न मिलने के कारण भगवान राम को उनके परिवार सहित एक पुराने से टीन के टपरे में दिन गुजारना पड़ रहे हैं। हालात यह है कि इस पूरे गांव में एक भी मंदिर नहीं है। और मुआवजे की राशि के अभाव में श्रीराम लला का मंदिर भी पूरा नहीं बन पा रहा है।
हरसूद शहर से लगभग 15 किमी दूर ग्राम सेल्दा में भगवान श्रीराम 12 सालों से टीन के टपरे में विराजमान हैं। साल 2003 में इंदिरासागर बांध के कारण इस गांव का पुर्नवास हुआ,उसी समय गांव के श्रीराम मंदिर का भी पुर्नवास हुआ। मंदिर समिति अध्यक्ष गोरेलाल के अनुसार मंदिर के पुर्नवास का पूरा मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। जो राशि मिली थी उसमें मंदिर निर्माण प्रारंभ तो कर दिया था लेकिन और राशि की जरूरत है। इस कारण से कार्य कई सालों से रुका हुआ है।
जहां भगवान वहीं भक्त की तर्ज पर ग्रामीण इसी टीन के टपरे में श्रीराम लला की पूजा अर्चना कर रहे हैं। क्योंकि पूरे गांव में एक भी दूसरा मंदिर नहीं है। श्रीराम भगवान की भक्ति में भक्तगण कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जबकि प्रशासनिक नुमाइंदे आश्वासनों की रेवड़ी बांट रहे है। दो साल बाद टपरावास के 14 साल भी पूरे हो जाएंगे।
मंदिर पुजारी मधुसूदन उपाध्याय के अनुसार अनेकों बार एसडीएम को इस बाबद याद दिलाया लेकिन शेष राशि नहीं आवंटित हो पाई और मंदिर निर्माण आधा ही हो पाया है। वहीं जिम्मेदार अधिकारी का कहना है कि इस बाबद प्रक्रिया पूर्ण हो गई है शीघ्र ही राशि प्रदान कर दी जाएगी।
रिपोर्ट – विशाल सिंह वाकुरा