नई दिल्ली – दिल्ली में स्ट्रीट फूड के शौकीनों के लिए एक बुरी खबर है। अब सड़क किनारे बनने वाली मिठाईयों और तमाम स्ट्रीट फूड नहीं दिखेंगे क्योंकि दिल्ली सरकार ने सड़क किनारे खाना बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। सड़क किनारे दुकान लगाने वाले लोगों के लिए सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
रेहड़ी-पटरी दुकानदारों का दावा है कि सरकार की इस योजना में सिर्फ खाना बनाने पर ही पाबंदी नहीं लगाई है, बल्कि इसके तहत कई ऐसे नियम भी हैं जिससे उन्हें और भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार, सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलकर वेंडर्स इस फैसले का विरोध करने का मन बना रहे हैं। 13 अक्टूबर को ही सरकार ने इस योजना का नोटिफिकेशन जारी किया है और सिविक एजेंसियों को जल्द से जल्द इसे लागू करने के निर्देश दे दिए गए हैं। हालांकि, स्थानीय एजेंसियों का कहना है कि यह काम इतना आसान नहीं है। खासतौर पर सड़क किनारे खाना बनाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए उनके पास पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, ‘हम खुले में खाना बनाने वाले पटरी दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, लेकिन लोगों की कमी की वजह से इस काम में दिक्कत आती है।’
अधिकारियों ने बताया कि क्योंकि अब स्कीम की अधिसूचना जारी कर दी गई है, तो इस बारे में कुछ करना बेहद मुश्किल है।
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हमें इससे जुड़े हर वर्ग को ध्यान में रखना है। ट्रेडर्स, रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटीज वगैरह। सड़क किनारे कुकिंग या खुले में खाना बनाने पर प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के आधार पर ही किया जाएगा। हमें स्कीम की अधिसूचना जारी करने से पहले कानून का पूरा अध्ययन किया था।’
दूसरी तरफ, वेंडर्स एसोसिएशन का कहना है कि दिल्ली सरकार के इस फैसले से लाखों रेहड़ी-पटरी दुकानदारों की जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। ज्यादातर लोग स्ट्रीट फूड के काम से ही अपना और परिवार का पेट पालते हैं।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक अरबिंद सिंह के अनुसार, ‘यह एक्ट उत्तराखंड और पंजाब में लागू है, लेकिन वहां सड़क किनारे खाना बनाने पर प्रतिबंध नहीं है। इस कानून के पीछे मकसद है कि हम बिना डर के अपनी आजीविका चला सकें, लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार तो वेंडर्स के खिलाफ खड़ी हो गई है।’
सिंह ने यह भी बताया कि इस स्कीम पर बातचीत के लिए पिछले दिनों उनकी सीएम से मुलाकात भी हुई थी, पर उनके एक भी सुझाव को अधिसूचना में शामिल नहीं किया गया।
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