मुंबई : महाराष्ट्र सरकार में शामिल रशिवसेना ने राज्य में सूखे की स्थिति पर बेचैनी का इजहार करते हुए कहा है कि केवल ‘भारत माता की जय’ जपने से राज्य के जल संकट का समाधान नहीं होगा। राज्य के सूखे और प्यासे क्षेत्रों की अत्यंत गंभीर स्थिति की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए शिवसेना ने कहा कि सूखा के कारण कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है। सरकार को हर हाल में इस स्थिति से शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर निपटना चाहिए।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा गया है, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने घोषणा की है कि वह भारत माता की जय बोलना नहीं बंद करेंगे चाहे उन्हें अपनी कुर्सी की कुर्बानी ही देनी पड़े।” इससे बेहतर होता कि वह कहते कि यदि राज्य की पानी की समस्या का समाधान नहीं हो पाया तो वे मुख्यमंत्री की अपनी कुर्सी को ठोकर मार देंगे।
संपादकीय में लिखा गया है कि भविष्यवाणी की गई है कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा और महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति का संकेत उस भविष्यवाणी का सत्याभास कराता है। इसमें यह भी कहा गया है कि कुछ युवा अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए नक्सली बन गए हैं..तब क्या हो जब युवा पानी के एक घूंट के लिए हथियार उठा लें और आतंक का सहारा लें? उस स्थिति में ‘भारत माता की जय’ नारा अर्थहीन हो जाएगा। शिवसेना ने कहा है, “अब जल संकट से निपटने में पिछली सरकार पर दोषारोपण करने का कोई मुद्दा नहीं है।”
सेना ने बेलाग शब्दों में गठबंधन के अपने वरिष्ठ साथी भारतीय जनता पार्टी के लिए कहा है, “अब आपकी सरकार है। आप लोगों को प्यासा नहीं रख सकते। ऐसा होने पर भी आप उनसे अपेक्षा रखते हैं कि ‘वे भारत माता की जय’ और अन्य राष्ट्रभक्ति नारों से जोश से भर जाएं? अत्यंत गंभीर स्थिति की रूपरेखा पेश करते हुए सेना ने कहा कि मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र के बहुत सारे हिस्सों में भारतीय दंड संहिता की धारा 144 लागू है। इसके तहत पांच या उससे अधिक लोगों के एक जगह पर जुटने पर रोक है।
पानी के टैंकरों की पुलिस चौबीसों घंटे निगरानी कर रही है। लोग घरों में पानी को ताले में रख रहे हैं। ऐसे में जल माफिया सिर उठा रहे हैं। औरंगाबाद जैसे कुछ इलाकों में पानी की आपूर्ति 40 दिन में एक बार हो रही है। पीने, खाना बनाने, साफ-सफाई के लिए पानी नहीं है। ठाणे, पुणे, नागपुर और मुंबई जैसे शहरों में स्थिति गंभीर होती जा रही है। शिवसेना ने फड़नवीस से आग्रह किया है कि कुर्सी पर बैठे रहने के बजाय महाराष्ट्र की जनता के लिए पानी का इंतजाम सुनिश्चित करें।