इंदौर : महू में डा भीमराव आंबेडकर की 125 वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि यहां आने का मौका मिला। मैं यहां पहले भी आया लेकिन उस समय और अब में अंतर है। बाबा साहब एक व्यक्ति नहीं थे, वे संकल्प का दूसरा नाम थे। बाबा साहेब जीवन जीते नहीं थे, वे जीवन को संघर्ष में जोत देते थे। वे अपने मान सम्मान, मर्यादाओं के लिए नहीं बल्कि समाज के वंचितों, पीडि़तों की बराबरी के लिए अपमानित होकर भी अपने मार्ग से विचलित नहीं होते थे। दलितों के लिए उनके दिल में जो आग थी, उसके लिए उन्होंने कई अवसरों को छोड दिया। उन्होंने अपने आप को खपा दिया।
मुझे खुशी है कि गांधी जी ने ग्राम स्वराज की जो भावना हमें दी, ये सब अभी भी पूरा होना बाकी है। आजादी के इतने सालों के बाद जिस प्रकार से हमारे गांवों के जीवन में बदलाव आना चाहिए था, ग्रामीण जीवन आगे आना चाहिए था, वह अभी भी नहीं हो पाया है। यह दुख की बात है। भारत का विकास पांच-पचास बडे शहरों या उद्योगों से होने वाला नहीं है। अगर हमें सच्चे अर्थों में भारत का विकास करना है तो गांवों की नींव को मजबूत करना होगा। आपने बजट में भी देखा होगा कि पूरी तरह इसे किसानों को समर्पित किया गया है। एक लंबे समय तक देश के ग्रामीणों को नई उर्जा, नई ताकत दिए जाने पर बल दिया है। हमें विकास की धारा को गांवों के लिए विकास के लिए ही मोड़ना है।
आज भी कुछ ऐसे गांव हैं जहां बिजली नहीं पहुंची है। यह स्थिति तब है जब आजादी के 70 साल होने आए और 18 हजार गांव ऐसे हैं जहां के लोगों ने उजाला नहीं देखा है। 21 वीं सदी के भी 15 साल बीत गए लेकिन उनके नसीब में एक बल्ब भी नहीं है। मेरा बैचेन होना स्वाभाविक है। ये कैसे हो सकता है। हमें हमारी गति तेज करना होगी। मैंने लाल किले से कहा था कि हम देश ऐसे ही गांवों में बिजली पहुंचाएंगे। जिस काम के लिए सत्तर साल लगे, उसके लिए मैंने हजार दिन में काम पूरा करना तय किया है।
आंबेडकर ने कहा था कि शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो। उनका व्यक्तित्व गांवों में चेतना जगा सकता है। हमें पंचायत व्यवस्था को अधिक सक्रिय करना होगा।