लखनऊ- राज्यसभा के लिए समाजवादी पार्टी ने बेनी प्रसाद वर्मा, अमर सिंह, संजय सेठ, रेवती रमण सिंह, सुखराम सिंह यादव, विश्मभर प्रसाद निषाद, अरविन्द सिंह को प्रत्याशी बनाया है। कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आज यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि संसदीय कार्यसमिति की बैठक में इन्हें राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया गया है। हालांकि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को जिसका डर था, वही हुआ। समाजवादी पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक आज लखनऊ में राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बुलाई थी।
इस बैठक में राज्यसभा निर्वाचन के लिए प्रत्याशियों के नाम पर फैसला होना था। खास बात यह रही कि सपा संसदीय बोर्ड की बैठक में मुलायम सिंह यादव की दोस्ती मुहिम को मोहम्मद आजम खां व प्रोफेसर राम गोपाल ने एक सुर में सुर मिलाते हुए झटका दे दिया था। हालांकि बाद में यह कहा गया कि जो सपा सुप्रीमो फैसला लेंगे, वह मान्य होगा।
बेहद गोपनीय स्तर पर बंद कमरे में चली करीब दो घंटे से अधिक की बैठक। इस अहम बैठक से बाहर आने पर राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल की ओर से मीडिया को दी गई प्रतिक्रिया से भीतर की गर्मी बाहर आती दिख रही है।
बैठक के बारे में प्रोफेसर राम गोपाल ने बिना पूरा प्रश्न सुने बड़ी झुंझलाहट में कहा कि राज्यसभा सदस्य पद के लिए अब अंतिम निर्णय सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ही लेंगे। राम गोपाल ने जितनी तल्खी से यह बात कही और उनके बैठक से सीधे वीवीआईपी गेस्ट हाउस पहुंच जाने को सियासी पेंच माना जा रहा है।
बताया जा रहा है कि सपा मुखिया सपा के खाते में आने वाले सात राज्य सभा सदस्यों में मुलायम अपने पुराने मित्रों को प्रदेश की सपा सरकार के लिए उपकृत करना चाहते हैं। मुलायम के पुराने साथियों में सबसे अहम अमर सिंह और बेनी प्रसाद वर्मा हैं। माना जा रहा है कि सपा मुखिया चाहते हैं कि अब एक बार फिर इन दोनों सपाई दिग्गजों को पार्टी की मुख्य धारा में जोड़ लिया जाए।
इसके लिए राज्य सभा में अमर सिंह व बेनी प्रसाद वर्मा के नाम पर सहमति आज बनाने की कोशिश की। बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, शिवपाल यादव भी मौजूद रहे। प्रारंभिक बातचीत के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जैसे ही अमर सिंह व बेनी प्रसाद वर्मा के नाम पर विचार विमर्श शुरू करवाया। नेताजी की पूरी बात सुनने के बाद मोहम्मद आजम खां जो हमेशा खरी खरी बात कहने के लिए जाने जाते हैं। उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने बड़े ही अदब के साथ कहा नेता जी अब तो आपको ही सभी निर्णय खुद ही लेने पड़ेंगे। जब आपको हम सब किसी की बात ही नहीं सुननी है तो आपका निर्णय ही अंतिम निर्णय माना जाए।
आजम को थोड़ा टोकते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा ऐसी बात नहीं है। पर आपसब को भी सोचना होगा। इतना सुनने के साथ प्रोफेसर राम गोपाल यादव भी मोहम्मद आजम खां से दो कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि जब आपको वही नाम तय करने हैं, जिनके बारे में आपने सोचा है, तो ठीक है।
इसके अलावा भी कई तल्ख बातें बैठक में कहीं गईं, मोहम्मद आजम खां ने कई पुराने मसलों का हवाला देते हुए मुलायम सिंह यादव को अपने योगदान और इंसानियत का हवाला दिया, तो प्रोफेसर राम गोपाल ने अतीत में हुए हमलों का उदाहरण देते हुए कई नीतिगत मामलों व बातों को जोरदार ढंग से रखा।