भोपाल- मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीसरी सीट जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोई भी दांव खेलने में पीछे नहीं रहना चाहती। यही कारण है कि उसने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया को मैदान में उतारा है, तो दूसरी ओर अब पार्टी स्तर पर कांग्रेस के उन विधायकों से संपर्क तेज कर दिया है, जो असंतुष्ट चल रहे हैं।
राज्य से राज्यसभा के तीन सदस्यों का निर्वाचन होना है। एक उम्मीदवार की जीत के लिए 58 विधायकों का समर्थन आवश्यक है। राज्य विधानसभा में कुल 230 विधायक है, जिनमें से भाजपा के 166 विधायक (विधानसभाध्यक्ष सहित) हैं। इस तरह भाजपा के दो सदस्यों की जीत तय है और तीसरी सीट जीतने के लिए उसे आठ विधायकों के समर्थन की जरूरत है। कांग्रेस के पास 57 विधायक है और उसे एक वोट की जरूरत है। विधानसभा में चार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और तीन निर्दलीय विधायक हैं।
भाजपा ने अधिकृत तौर पर अनिल माधव दवे और एम.जे.अकबर को उम्मीदवार बनाया है, जिनकी जीत तय मानी जा रही है। कांग्रेस ने विवेक तन्खा को मैदान में उतारा है। उनका भी निर्वाचित होना तय माना जा रहा था, मगर भाजपा हाईकमान की ओर से मिले निर्देश पर गोटिया ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरकर तन्खा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
भाजपा के पिछले चुनावों पर गौर करें, तो उसने वह हर दांव चला है, जिसमें उसे जीत मिले। लोकसभा चुनाव में तो भिंड संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार भागीरथ प्रसाद का पाला बदलवाकर भाजपा का प्रत्याशी बना दिया था। इसी तरह होशंगाबाद से उदय प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया था। इसके अलावा, विधायकों में संजय पाठक, नारायण त्रिपाठी को इस्तीफा दिलवाकर भाजपा से चुनाव लड़ाया। वहीं विधानसभा के उपनेता चौधरी राकेश सिंह चौधरी को उस समय पाला बदलवाया गया, जब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। भाजपा राज्यसभा के चुनाव में ऐसा ही कुछ कर दिखाने की रणनीति बना रही है।
भाजपा के सूत्रों की मानें, तो पार्टी आठ वोटों के इंतजाम के लिए बसपा और निर्दलीय विधायकों के अलावा कांग्रेस के उन विधायकों से संपर्क कर रही है, जो असंतुष्ट चल रहे हैं। सूत्रों का तो दावा यहां तक है कि इन विधायकों को भरोसा दिलाया जा रहा है कि अगर राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करने पर कोई मुसीबत आती है, तो उन्हें भाजपा की ओर से चुनाव लड़ाया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया का मानना है कि भाजपा हर हाल में यह चुनाव जीतना चाहती है। इसके लिए उसने व्यापक रणनीति भी बना रखी है। राज्यसभा की सभी तीनों सीटें जीतकर भाजपा राजनीतिक तौर पर कई संकेत देना चाह रही है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कहना है कि भाजपा के सिर्फ दो ही प्रत्याशी हैं, हमने निर्दलीय उम्मीदवार नहीं उतारा है।
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने आईएएनएस से कहा कि भाजपा तो पूरे देश में लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा है, उत्तराखंड में यही किया था। अब राज्यसभा के चुनाव में पर्याप्त वोट न होने के बावजूद उम्मीदवार का मैदान में उतारा जाना बताता है कि भाजपा किस हद पर उतरकर खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रही है।
सूत्रों की मानें, तो भाजपा के हाईकामन ने राज्य के नेताओं से साफ कह दिया है कि उन्हें हर हाल में तीसरी सीट पर भी जीत चाहिए। इसीलिए कांग्रेस के महाकौशल के दो तथा बुंदेलखंड के दो विधायकों से सीधे तौर पर भाजपा ने संपर्क साधा है। वहीं निर्दलीय विधायकों को मनाने की कोशिश जारी है। इतना ही नहीं, बसपा के चार में से दो विधायकों से भी गोटिया के पक्ष में मतदान करने की जुगत भिड़ाई जा रही है।
राज्यसभा का चुनाव बड़े रोचक दौर में पहुंच गया है, क्योंकि कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थन में उतने वोट नहीं है, जो उन्हें चुनाव जिता सके। लिहाजा वे जीत के लिए दूसरे पर निर्भर हैं। अब देखना है कि जीत किसके खाते में जाती है। [एजेंसी]