कोलकाता- केंद्र सरकार स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप इंडिया जैसे प्रोग्राम चला रही है। ऐसे समय में स्टार्टअप का बंद होना बेहद चिंता की बात है। 2015 में हर रोज 4 स्टार्टअप शुरू हो रहे थे, जिसके कारण भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टाहर्टअप्स् वाला देश (संख्या के आधार पर) बना था। लेकिन एक वर्ष में ही स्टार्टअप की गति धीमी हो गयी है।
पिछले साल स्टार्टअप्सल पर पैसों की बारिश हो रही थी। लेकिन अब देश में स्टार्टअप की तस्वीर बदलने लगी है। 2016 के शुरुआती 5 महीनों के दौरान 18 से अधिक स्टार्टअप्सअ बंद हो चुके हैं, जबकि पिछले साल 14 स्टार्टअप पर ताला लगा।
स्टार्टअप से अब कतरा रहे हैं निवेशक:- 2015 की पहली तिमाही में स्टार्टअप्स 1.3 अरब डॉलर जुटाने में कामयाब रहे, जो कि 2014 (पहली तिमाही) के मुकाबले 93 फीसदी अधिक था। लेकिन 2015 की चौथी तिमाही आते-आते इसमें गिरावट दर्ज की गई। नये साल के आगाज के साथ-साथ एक बार फिर स्टार्टअप्सक योजना में तेजी आयी, वर्ष 2016 के पहले चार महीने में 361 डील हुईं।
हालांकि पैसों के हिसाब से यह आंकड़ा 2015 के मुकाबले कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक तरफ कुछ स्टार्टअप्स पैसा जुटाने में व्यस्त हैं, तो दूसरी ओर कुछ स्टार्टअप्स बंद होने के कगार पर हैं। बंद होने वाले स्टार्ट अप कुल 18 स्टार्ट अप्स जो बंद हुए, उनमें से 4 फूड-टेक स्पेस, 4 हयपरलोकल और 2 फैशन के क्षेत्र में कारोबार करते हैं। इनमें से 15 स्टार्टअप्स फंडेड थे और सिर्फ एक सीरीज ए स्टेज के ऊपर का था।
बंद होने वाले स्टार्टअप्स में इंटेलीजेंट इंटरफेस, फैशन आरा, डिलीवरी किंग, ऑटो राजा, फ्रैंक्ली मी और अन्य नाम शामिल हैं। फ्लिपकार्ट ने पिछले साल अक्टूबर में बेंगलुरु में ग्रॉसरी डिलीवरी सर्विस शुरू की थी, जिसको हाल में ही बंद किया है। वहीं, ऐप आधारित टैक्सी सर्विस प्रोवाइड करने वाली एक प्रख्यात कंपनी ने विभिन्न सेवाओं को बंद कर दिया है।