यूं तो भगवान शिव हमेशा ही भक्तों पर कृपा करते हैं लेकिन शिव जी को खुश करने के लिए सबसे अच्छा समय सावन का महीना होता है। कहते हैं कि इस महीने में भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच होते हैं और इसलिए भक्तों की पुकार बहुत जल्द सुनते हैं। यही वजह है कि शिव भक्त सबसे ज्यादा सावन में ही कांवर चढ़ाते हैं और सावन में शिव भक्ति में डूबे रहते हैं।
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वाराणसी के मैदागिन क्षेत्र में भोलेनाथ मृत्युंजय महादेव के रूप में विराजते हैं। जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा हो, महादेव के दर्शन मात्र से वो सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। देवों के देव- महादेव भक्तों के दुखों के साथ काल को भी हर लेते हैं और देते हैं मोक्ष का वरदान। यहां भोले बाबा के दर्शन मात्र से ही मन की हर कामना पूरी हो जाती है। चाहे ग्रहों की बाधा हो या फिर कुछ और, मृत्युंजय महादेव के मंदिर में दर्शन कर सवा लाख मृत्युंजय महामंत्र के जाप से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है।
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द्वादश ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ प्रथम ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग गुजराज में है। इस ज्योतिर्लिंग की प्रतिष्ठा कर चंद्रमा ने भगवान शंकर की तपस्या की थी।फलस्वरूप भगवान ने चंद्रमा को वरदान दिया। इसीलिए चंद्रमा यानी सोम के नाम से यह ज्योतिर्लिंग विख्यात हुआ। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से ही मनुष्य के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है एवं मनोवांछित फल पाकर मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है। Read more: ज्योतिर्लिंग के दर्शन से ही समस्त पापों से मुक्ति
झांसी में मऊरानीपुर के मुहल्ला कुरैचा नाका में भैरव मंदिर में एक कुत्ता कौतूहल का विषय बन गया है। यह कुत्ता 30 घंटे से मंदिर में शिवलिंग की परिक्रमा कर रहा है। मुहल्ला कुरैचा नाका में भैरव बाबा के मंदिर में एक काला कुत्ता लगातार शिवलिंग की परिक्रमा कर रहा है। शुरुआत में तो लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और माना कि आवारा कुत्ता घूम रहा है।
Read more: मंदिर में शिवलिंग की परिक्रमा कर रहा है यह कुत्ता
शिव रूप रहित जरूर हैं, मगर वे ही वह शक्ति हैं, जो सृष्टि रचना के समय ब्रह्मा का रूप धारण कर लेते हैं और प्रलय के समय साक्षात शिव के रूप में विराजमान हो जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि शिवरात्रि के दिन ही पर ही माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
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रामायण में लिखा है कि पांच दिन में सौ योजन लंबा और दस योजन चौड़ा सेतु वानर सेना ने तैयार कर दिया। भगवान राम शिव को भजते थे, तो आक्रमण से पहले इष्ट का पूजन अर्चन भी आवश्यक था। इसलिए एक कालजयी विग्रह स्थापित हुआ, जिसे श्री रामेश्वरम् के नाम से जानते हैं। Read more: जानिए: क्यों स्थापित करवाया रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
देवाधि देव महादेव सोमनाथ महादेव मंदिर पर बरस रहा है सोना ! सोमनाथ महादेव मंदिर को एक डोनर ने तीन साल में 100 किलो सोना दान किया है. देश के प्रथम ज्योर्तिंलिंग सोमनाथ महादेव मंदिर के गर्भ गृह को सोना जड़ित करने का काम अक्षरतृतिया के दिन पूर्ण हो गया है. Read more: देव महादेव सोमनाथ महादेव मंदिर पर बरस रहा है सोना