नई दिल्ली- गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर में हुर्रियत नेताओं के अड़ियल रवैये पर दो टूक टिप्पणी करते हुए सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जिस तरह हुर्रियत नेताओं ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से बातचीत से इनकार किया है, साफ जाहिर है कि उनके दिल में कश्मीरी आवाम के लिए न तो इंसानियत है और न ही कश्मीरियत।
राजनाथ सिंह ने इसके साथ ही कहा कि केंद्र और राज्य सरकार घाटी में शांति का माहौल तैयार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ‘मैं हुर्रियत नेताओं से कहना चाहता हूं कि बातचीत के लिए हमारे दरवाजे ही नहीं, हमारे रोशनदान भी खुले हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हर कोई कश्मीर में हालात सुधारने के लिए चिंतित है। एक बात मैं तथ्यात्मक रूप से स्पष्ट कर दूं कि जम्मू-कश्मीर हिंदुस्तान का अभिन्न अंग था, भारत का अंग है और हमेशा रहेगा। इसमें कोई दोमत नहीं है। अगर कोई बातचीत के लिए जाता है और हुर्रियत के नेता बात नहीं करते हैं तो साफ जाहिर है कि उनका इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत में कोई भरोसा नहीं है। ‘
गृह मंत्री ने कहा, ‘हम घाटी में शांति बहाली के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार हैं। हम राज्य सरकार के साथ हर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। हम शांति चाहने वालों से बात करने के लिए तैयार हैं। ‘
हुर्रियत नेताओं की ओर से कश्मीर मसले पर पहले पाकिस्तान से बातचीत की शर्त पर गृह मंत्री ने कहा, ‘हम पहले देश में रहने वाले अपने लोगों से बात करेंगे। ‘ गृह मंत्री ने बताया कि प्रदर्शनकारियों पर अब पैलेट गन की जगह पावा शेल का इस्तेमाल होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीरी छात्रों की समस्याओं के लिए एक कमेटी बनाई गई है, जिसे डॉक्टर संजय राय हेड कर रहे हैं।
गृह मंत्री के नेतृत्व में शांति बहाली के प्रयास के लिए कश्मीर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने कई लोगों और समुदायों से बातचीत की है, जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि वहां के हालात में तेजी से सुधार होगा। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘ शांति के लिए लोगों से बात हुई। जम्मू कश्मीर के गर्वनर और मुख्यमंत्री से बातचीत हुई। स्टेट के सभी मंत्रियों से बात हुई। सभी चाहते हैं कि हालात सुधरे। ‘
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने अब तक 300 लोगों से बात की है। सब चाहते हैं कि कश्मीर के हालात सुधरें। राजनाथ सिंह ने कहा कि पैलेट गन पर बनी समिति ने पावा शेल का विकल्प सुझाया है और उम्मीद है अब इससे किसी को नुकसान नहीं होगा।
गौरतलब है कि नेताओं के समूह ने रविवार को हुर्रियत के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल गनी भट से भी मुलाकात का प्रयास किया, लेकिन भट ने भी उनसे बात करने से इनकार कर दिया था। भट ने नेताओं का स्वागत किया, लेकिन स्पष्ट कर दिया कि यह निर्णय किया गया है कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। [एजेंसी]