नई दिल्ली- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर ने जजों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के अखिल भारतीय सम्मलेन में अपने संबोधन के दौरान टीएस ठाकुर ने सरकार पर यह आरोप लगाया। इस सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे, जिन्होंने बाद में तो उनके इस आरोपों को सिरे से नकार दिया।
सीजेआई ने कहा कि आज हाई कोर्ट में 500 जजों के पद खाली हैं, कोर्ट रूम खाली हैं, लेकिन जज नहीं हैं। चीफ जस्टिस पर पलटवार करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि इस साल सबसे ज्यादा जजों की नियुक्ति हुई है।
टीएस ठाकुर ने कहा कि जजों की नियुक्ति हुई है, लेकिन बड़ी संख्या में दिए गए प्रस्ताव अभी भी पेंडिंग में है। उम्मीद है कि सरकार उन पर गौर करेगी। टीएस ठाकुर ने ट्रिब्यूनलों की खराब हालत का भी ठीकरा सरकार पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार उचित सुविधाएं देने के लिए तैयार नहीं है। ट्रिब्यूनल के लिए बुनियादी सुविधाओं के अलावा रिक्ति एक प्रमुख चिंता का विषय है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि आज ऐसी स्थिति है जब सुप्रीम कोर्ट का कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश ट्रिब्यूनल का चीफ नहीं बनना चाहता। कई ट्रिब्यूनल खाली पड़े हैं। वहां मेरे सेवानिवृत्त सहयोगियों भेजने से दुखी हूं।
कानून मंत्री ने किया पलटवार
रविशंकर प्रसाद ने भी पलटवार करते हुए कहा कहा कि हम मुख्य न्यायाधीश का सम्मान करते है। लेकिन सम्मान के साथ हम असहमत हैं। इस साल हमने 120 न्यायाधीशों की नियुक्ति कर दी है। कानून मंत्री ने कहा कि वो चीफ जस्टिस की बात से सहमत नहीं हैं। सरकार नियुक्ति भरने और सुविधा मुहैया करवाने का भरपूर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड हो रहे सभी जजों को एक ही साइज का आवास देना संभव नहीं है।
कानून मंत्री ने कहा कि इस साल कुल 120 जजों की नियुक्ति हुई है जो कि अबतक का दूसरा सर्वोच्च नियुक्ति का रिकॉर्ड है। जिला अदालतों में 5000 पद खाली हैं, लेकिन इन्हें भरने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। [एजेंसी]