नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैशलेस योजना को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने झटका दिया है। आरबीआई ने सरकार के डेबिट कार्ड से ट्रांजेक्शंस के दौरान लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट को बहुत कम कर देने के प्रस्ताव पर सवाल उठाया है।
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, इसके लिए पिछले सप्ताह आरबीआई और बैंकों के बीच कई बैठकें भी हुईं थी। इन बैठकों में कैबिनेट मिनिस्टर के अलावा सरकार के सीनियर पदाधिकारी भी शामिल थे।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने जताई चिंता
बैठक में सरकार ने सुझाव दिया था कि एमडीआर को या तो खत्म कर दिया जाए या अगले साल 31 मार्च तक इसे बहुत कम रखा जाए। एसबीआई और आईसीआईसीआई जैसे बड़े बैंकों ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। इतना ही नहीं आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने भी सरकार के इस सुझाव पर चिंता जताई है।
एक शख्स ने ईटी को बताया, ‘आर. गांधी ने कहा था कि चार्ज में कमी करते वक्त बैंकों की लागत को ध्यान में रखना होगा। सरकार एक हजार और दो हजार रुपए से नीचे के ट्रांजेक्शंस के लिए चार्जेज को काफी ज्यादा घटाना चाहती है। इन पर चार्ज 75 से 100 बेसिस पॉइंट्स तक है। ’
विशेषज्ञों के मुताबिक, डेबिट कार्ड पर जीरो चार्ज कर देने से कई मर्चेंट्स क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन करने में आनाकानी कर सकते हैं, जिस पर औसतन 170 बेसिस पॉइंट्स का एमडीआर है।
मर्चेंट डिस्काउंट रेट को ऐसे समझें
मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानि एमडीआर वह लागत होती है, जिसे बैंक कार्ड सर्विसेज देने के बदले में मर्चेंट से वसूलते हैं। डिजिटल लेनदेन को बढावा देने के कदमों के तहत नोटबंदी के इस दौर में सरकार ने यह पहल की है। जाहिर तौर पर सरकार के इस कदम से देश में मौजूदा तकरीबन 74 करोड़ डेबिट कार्ड और 2.7 करोड़ क्रेडिट कार्ड धारकों और करीब 2 करोड़ क्रेडिट कार्ड उपयोग करने वालों को कार्ड पेमेंट करने पर फायदा होगा। इससे देश में कैशलेस ट्रांजेक्शन्स को बढ़ावा मिलेगा। [एजेंसी]