मंडला – मध्य प्रदेश के मंडला में सामाजिक पिछड़ेपन का एक अनोखा मामला सामने आया है। एक महिला का शव घंटो जिला चिकित्सालय के शव विच्छेदन गृह में महज इसलिए रखा रहा क्योंकि समाज ने उसके अंतिम संस्कार न करने का फरमान जारी कर दिया था। महिला का कसूर केवल इतना था कि वो अपने पति को छोड़कर दूसरे समाज के व्यक्ति के साथ रहने लगी थी। यही वजह थी कि समाज ने उसके अंतिम संस्कार का बहिष्कार कर दिया।
मंडला जिले के महाराजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पौंडी में एक महिला की ह्त्या उसके ही प्रेमी ने कर दी। संतोषी बाई नंदा अपने पति को छोड़कर करीब एक साल पूर्व अपने पति को छोड़कर सुनील यादव के साथ रहने लगी। संतोषी भले ही अपने पति को छोड़कर दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगी थी लेकिन इससे उसका प्रेमी जिसके साथ वो रह रही थी वो नाराज़ रहने लगा था। इसी बात को लेकर दोनों के बीच झगडे भी होने लगे थे। इसी विवाद के चलते सुनील यादव ने संतोषी बाई नंदा के सर पर लेथ से प्रहार कर दिया जिससे उसकी मौत हो गई।
नंदा जाति की होने के बावजूद वह यादव जाति के व्यक्ति के साथ रह रही थी, जिस वजह से उसकी मौत के बाद नंदा समाज ने उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया और उसका अंतिम संस्कार न करने का फरमान जारी कर दिया तो वहीं दूसरी तरफ उसके प्रेमी सुनील यादव के समाज के लोग भी उसके अंतिम संस्कार के लिये आगे नहीं आये। मृतिका संतोषी बाई की मां मुन्नी बाई और उसके पिता लल्ला नंदा बदहवास थे। वो यह नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर वो अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कैसे करे।
उन्होंने बताया कि उनकी बेटी संतोषी बाई करीब एक साल पूर्व अपने पति को छोड़कर सुनील यादव के साथ रहने लगी थी। इसी वजह से समाज द्वारा उन्हें उनकी बेटी का अंतिम संस्कार नहीं करने के लिये कहा गया है। उनसे कहा गया है कि यदि वे अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करेंगे तो उन्हें भी समाज से बहिष्कृत कर दिया जायेगा। मृतका की मां चाहती है कि जिस व्यक्ति के साथ वह पत्नी की तरह रह रही थी, उसे ही उसका अंतिम संस्कार करना चाहिये, लेकिन वह संतोषी के ही हत्या के आरोप में हवालात में हैं।
इस पूरे मामले में जब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओंकार क्लेश से चर्चा की गई तो उन्होंनें बताया कि संतोषी बाई के प्रेमी सुनील यादव जो उसके पति की तरह उसके साथ रह रहा थे, ने संतोषी की हत्या करना कुबूल किया है। सुनील यादव का कहना था कि संतोषी अपने पूर्व पति से भी बातचीत किया करती थी, जिस वजह से नाराजगीवश उसने संतोषी को लट्ठ मारा जिससे उसकी मौत हो गयी। सामाजिक बहिष्कार के सवाल पर पुलिस कोई माकूल जवाब नहीं दे सकी।
पुलिस भले ही सामाजिक बहिष्कार के मामले में कुछ भी कहने से बचते हुए मृतिका के परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार करने की बात कर रही हो लेकिन जिला चिकित्सालय परिसर में पुलिस परिजनों पर शव शमशान ले जाने के लिए आग्रह करती रही लेकिन गरीबी और सामाजिक बहिष्कार के डर से वृद्ध माता – पिता और मृतिका की बेटी कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे। ऐसे में एक – दो साहसिक युवाओं का दिल पसीजा और उन्होंने अंतिम संस्कार का दायित्व उठाया और देर शाम देवदार स्थित शमशान में अंतिम संस्कार कर दिया गया, जिसमे मृतिका के परिजन भी शामिल हुए।
रिपोर्ट- @सैयद जावेद अली