लखनऊ: यूपी सरकार द्वारा अवैध बूचडखाने बन्द करने की खबर चलते ही प्रदेश में नॉनवेज खाने को लेकर बड़ी बहस चल रही है । टीवी चैनलों से लेकर समाचार पत्रों में मीट मुर्गों की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की जा रही है । नई सरकार के शपथ लेते ही सबसे पहले राजधानी के टुंडे कबाब पर ताला लटका और फिर ये कारोबारी हडताल पर चले गये है । पिछले दिनों टीवी चैनलों पर कुत्ता तक परोसने की खबरें चलने के बाद लोगों में काफ़ी अफवाहें फैल चुकी है ।
राजधानी में गली गली खुली मीट मुर्गों की दुकान बन्द है चन्द नॉनवेज परोसने वाली दुकानों पर भारी भीड़ उमड़ रही है । नॉनवेज खाने वालों के साथ साथ मुसलमानों में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के इस कदम को लेकर काफ़ी भ्रान्तियां फैली हुई है । टीवी चैनलों पर विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता डिबेट कर रहे है पर मीट कारोबारियों को इस बहस का हिस्सा नहीं बनाया जा रहा है । यूपी में 285 बूचडखाने है जिनमे से 100 को बन्द करवाया गया है, 37 बूचडखानों को केन्द्रीय लाइसेंस प्राप्त है, 25 माडर्न बूचडखाने है और यूपी से ही 20 प्रतिशत मान्स का एक्सपोर्ट किया जाता है । यदि वैध और अवैध बूचडखानों की बात करे तो एक्सपोर्ट करने बूचडखानों को छोड़ कर बाकी बूचडखाने नगर निगम द्वारा सन्चालित किये जाते है तो इसमें मीट विक्रेता कैसे दोषी ठहराया जा सकता है । यूपी सरकार ने अवैध बूचडखाने बन्द करने के नाम पर पशुवध पर अघोषित रोक लगा रखी है । प्रदेश में लाखों की संख्या में अनपढ़ मुसलमान मीट के कारोबार से जुडा हुआ है और यदि ये बेरोजगार हो गया तो कहीं प्रदेश में अपराध का स्तर न बढ़ जाये ।
क्या है नियम-कायदे:
मीट के लिये स्पष्ट शासनादेश है कि स्लॉटर हॉउस में बकरे काटे जाये और विक्रेता जिन्दा मान्स बेचने का लाइसेंस ले । राजधानी में कुल 602 दुकानों के लाइसेंस जारी है जिनमे से 272 लाइसेंसों का रिनीवल नहीं हुआ है जबकि केवल राजधानी भर में ही हजारों मीट की दुकाने चल रही थी । सन् 2014 में एनजीटी के आदेश से राजधानी में चल रहे बूचडखानों को बन्द कर दिया गया था । राजधानी की चिकमण्डी में स्लॉटर हॉउस पर बकरे कट रहे थे जिसे नगर निगम सन्चालित कर रहा था । लगभग 70-80 प्रतिशत लोग नॉनवेज खाते है और हजारों लोगों को ये व्यवसाय रोजगार देता था । एनजीटी द्वारा बूचडखानों के लिये नये मानक बनायें गये पर नगर निगम ने अवैध वसूली के चलते इन मानकों को पूरा नहीं किया । बूचडखाने पर एक डॉक्टर की तैनाती होती है जो जानवर का स्वास्थ्य परीक्षण करता है और ये कहीं से भी युक्तिसन्गत नहीं है ।
कैसे उड़ती थी नियमों की धज्जियां:
राजधानी में 602 लाइसेंस नगर निगम ने जारी किये है जिन्दा मान्स बेचने के लिये पर हजारों दुकानों पर मीट पुलिस और नगर निगम की अवैध वसूली के चलते बिक रहा था । पिछली सपा सरकार जानते बूझते हुए इस अवैध कारोबार को बढ़ावा देती रही । मीट बेचने वाले कारोबारी खुलेआम दुकान पर बकरा काटते थे और बेचते थे । राजधानी में लगभग 25-30 हजार किलो मीट और 25-30 हजार किलो मुर्गे की आवश्यकता प्रतिदिन होती है जिसे बिना मानकों के ग्राहकों को दिया जाता है । स्लॉटर हॉउस पर एक दिन में हजारों जानवरों का स्वास्थ्य परीक्षण एक डॉक्टर कर लेता है । केवल राजधानी में ही 90-95 प्रतिशत मुर्गे बेचने वाली दुकाने बिना लाइसेंस के चल रही है । नगर निगम की इस खुली छूट के चलते ये व्यवसाय इस स्तर तक पहुंच चुका है परंतु निगम इसकी कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है ।
क्या होना चाहिए:
मीट कारोबारियों के लिये नये मानकों का निर्माण करते हुए वैकल्पिक व्यवस्था की जाये । नगर निगम द्वारा सन्चालित स्लॉटर हॉउस को माडर्न बनाते हुए अधिक संख्या में डॉक्टरों की तैनाती की जाये । गली गली बिक रहे मीट को बन्द कर नगर निगम द्वारा जगह सुनिश्चित की जाये । मीट की दुकान पर जानवर न कटे केवल बिक्री का लाइसेंस दिया जाये । दुकान का निश्चित मानक हो जिसको सख्ती से पालित करवाया जाये । कुल मिला कर यदि सरकार पशुवध पर प्रतिबंध लगाना चाहती है तो बात अलग है और नहीं तो ऐसी व्यवस्था सरकार करे जिससे कि नॉनवेज खाने वालों को शुद्धता का पूर्ण विश्वास हो सके ।
प्रेस क्लब में मंगलवार को सुबह मुर्गा मण्डी समिति द्वारा पत्रकार वार्ता करने के बाद दोपहर को मीट मुर्गा व्यापारी कल्याण समिति उ०प्र० द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया । समिति के अध्यक्ष इकबाल कुरैशी ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से अपील करते हुए कहा कि जब तक नये शासनादेश और मानक नहीं तय किये जाते है तब तक वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा मीट बिक्री की अनुमति सरकार दे क्योकिं इस व्यवसाय से ऐसे लोग जुडें है जो रोज कमाते तथा रोज खाते है ।
रिपोर्ट @शाश्वत तिवारी