मंडला : कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। ये पंक्तियां सिर्फ उत्साहवर्धन की ही नहीं है बल्कि वर्तमान चुनौतीपूर्ण परिवेश में कुछ संघर्षशील युवाओं के सफलता की मुख्य वजह भी हैं। जिस परिवार में रोज कमाकर रोज खाने की जद्दोजहद होती रही हो उस परिवार की बेटी तमाम चुनौतियों को पार कर जब उस घर का चमकता हुआ चिराग बनती है तो उस बेटी पर मां बाप को नाज क्यों नहीं होगा। विद्यार्थी जीवन की पढ़ाई करने में ही जिसने हर बाधा को अपनी हिम्मत से पार किया वह बेटी आज अपने मां बाप परिवार के संघर्ष का परिणाम बनकर उभरी है।
हम बात कर रहे हैं नगर के सरदार भगत सिंह वार्ड में रहने वाले शरद चन्द्र जैन और श्रीमती सुनन्दा जैन की छोटी बेटी आयुषी जैन की, जिसने हाल ही में घोषित हुये मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग पीएससी की तीनों परीक्षाओं को पहले ही प्रयास में पास कर वाणिज्यिककर निरीक्षक का पद हासिल किया है। 27 वर्षीय आयुषी जैन अपने विद्यार्थी जीवन से ही पढ़ने लिखने में काफी होशियार थी। शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महाराजपुर से अपनी स्कूली पढ़ाई करने वाली आयुषी ने वर्ष 2008-09 की बारहवीं की परीक्षा में गणित संकाय से 91 प्रतिशत अंक अर्जित कर पूरे जिले में पहला स्थान हासिल किया था। इसके बाद की पढ़ाई के लिये काफी अधिक खर्च आना था पर पान दुकान चलाने वाले उसके पिता शरद चन्द्र जैन ने हार नहीं मानी और अपनी कम कमाई के बाद भी बेटी को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये जबलपुर भेजा। ज्ञान गंगा काॅलेज जबलपुर में आईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुये 2013 में आयुषी ने अपने काॅलेज में भी पहला स्थान हासिल किया। उस वर्ष केम्पस नहीं होने के चलते आयुषी को कोई प्रायवेट नौकरी नहीं मिल सकी पर उसने अपनी पढ़ाई को रूकने नहीं दिया और बैंकिंग परीक्षा की तैयारी के साथ पीएससी की तैयारी भी करने लगी। वर्ष 2015 की पीएससी परीक्षा में प्री एग्जाम में पास हुई फिर मेन्स एग्जाम में पास हुई और साक्षात्कार में भी सफल हुई।
गत दिवस आये परीक्षा परिणाम के बाद शरद चन्द्र जैन और उनके परिवार में जैसे खुशियां ही खुशियां आ गई हों और हो भी क्यों न अपने जीवन के कठिनतम संघर्षो के बाद उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई नहीं रूकने दी और उस होनहार बेटी ने भी अपने माता पिता की उम्मीदों को टूटने नहीं दिया जो माता पिता एक सामान्य नौकरी की उम्मीद लगाये हुये थे उनकी बेटी ने उससे भी कहीं बढ़कर शासकीय विभाग मंे उच्चपद हासिल किया है। हमने आयुषी से जब फोन पर बाती की तो अपनी सफलता का श्रेय आयुषी ने अपने माता पिता और पूरे परिवार को दिया। उन्होंने बताया कि कडी मेहनत और लगन के साथ उन्होंने हर परीक्षा की तैयारी की थी। चूंकि वो अपने पिता और पूरे परिवार के संघर्ष को बहुत नजदीक से जानती थी इससे भी उनका हौसला हमेंशा बढ़ता था और आज आयुषी ने वह सफलता हासिल की है जो उनके परिवार के लिये सुखद भविष्य का परिणाम लेकर आयी है। वहीं जिला पंचायत के समीप अपनी छोटी सीे पान दुकान चलाने वाले आयुषी के पिता शरद चन्द्र जैन ने इसे अपने जीवन के हर संघर्ष का मीठा फल बताया है। बेटी ने पिता का नाम रोशन किया है शायद इससे बड़ी उपलब्धि एक पिता या परिवार के लिये दूसरी कुछ हो भी नहीं सकती।
@सैयद जावेद अली