अमेठी: इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक कपड़े का साथ रहता है कपड़े को मूलभूत जरूरतों में शुमार किया जाता है रेडीमेड कपड़ों पर वैट लगता है लेकिन बिना सिले कपड़े अब तक टैक्स के दायरे में नहीं थे जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद जैसे ही यह बात साफ हुई कि अब कपड़े को भी पांच फीसद टैक्स के दायरे में लाया गया है, वैसे ही कपड़ा बाजार सहित उन समाजसेवियों में नाराजगी फैल गई जो लावारिस औऱ बेहद गरीब परिवार के मृतको के लिए कफन आदि की व्यवस्था करते है ।
अमेठी के मुसाफिरखाना निवासी और समाज सेवी इक़बाल हैदर का कहना है कि यह कैसा राम राज्य जहा अब कफन खरीदने के लिए भी टैक्स देना होगा आम आदमी की मूलभूत जरूरतों में शामिल कपड़े को भी सरकार पांच फीसद के दायरे में ले आयी है इसके चलते अब तो कफन खरीदने पर भी पांच फीसद टैक्स देना होगा वही दूसरी ओर मुसाफिरखाना के कपड़ा व्यापारी और युवा समाजसेवी राहुल कौशल भी इसे लेकर काफी खफा है।
इक़बाल का कहना कि गलत तरीके से थोपा हुआ टैक्स कही भी मुनासिब सरकार से गुजारिश है कि कफन जैसी चीज़ों पर लगा टैक्स हटाया जाय ।
रिपोर्ट@राम मिश्रा