मशहूर प्रोफेसर प्रार्थ चटर्जी ने आर्मी चीफ बिपिन रावत की तुलना जलिया वाला बाग की घटना को अंजाम देने वाले जनरल डायर से की है। प्रोफेसर ने कश्मीर में पत्थरबाज को जीप से बांधने वाले मेजर लितुल गोगोई की प्रशंसा करने पर आर्मी चीफ के बयान से नाराजगी जताते हुए कहा कि कश्मीर में कुछ वैसे ही हालात हैं जैसे अंग्रेजों के दौर में थे।
एक अंग्रेजी न्यूज पोर्टल में लिखे अपने आर्टिकल में प्रोफेसर पार्थ चटर्जी ने कहा कि दरअसल कश्मीर में सेना कुछ वैसे ही नये विचार अपना रही है जैसे अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में आजमाए थे।
चटर्जी ने कहा कि जलियावाला बाग में की गई नृशंस कार्रवाई और जम्मू कश्मीर में सेना की कार्रवाई का बचाव बिल्कुल समान घटनाएं हैं। ‘इन कश्मीर, इंडिया इज विटनेसिंग इट्स जनरल डायर मोमेंट’ शीर्षक से द वायर में प्रकाशित लेख में प्रोफेसर ने लिखा है कि जिस तरह जलियावाला की घटना के बाद जनरल डायर ने खुद को सही ठहराया था उसी तरह अब भारतीय सेना और सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत खुद को सही साबित करना चाहते हैं। दोनों ही घटनाओं में जो सफाई दी गई उनमें बहुत समानता है।
सोशल मीडिया पर जमकर हो रही प्राेफेसर की आलोचना
प्रोफेसर यहीं नहीं रुके उन्होंने यह भी कह डाला कि आज कश्मीर में जल्द वैसे ही हालात हो जाएंगे जैसे पाकिस्तान में जनरल अयूब के समय थे। हालांकि इस मुद्दे पर प्रोफेसर चटर्जी की आलोचना शुरू हुई तो वह अपनी बात पर अड़ गए।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने प्रोफेसर का पक्ष जाना तो उन्होंने साफ कर दिया कि मैंने इतने स्पष्ट तरीके से अपनी बात रखी है इसमें अब कुछ कहने के लिए नहीं है। तमाम अलोचनाओं से बेपरवाह लेखक ने कहा कि मैं अपनी बात से पीछे नहीं हटूंगा।
बता दें कि प्रोफेसर चटर्जी अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मानद प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे पार्थ चटर्जी सेंटर फॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंस कोलकाता के निदेशक भी रह चुके हैं।
वहीं प्रोफेसर चटर्जी का लेख सामने आने के बाद राजनीतिक दलों के साथ ही काफी लोगों ने उनकी आलोचना की। हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने चटर्जी को डिफेक्टिव पीस बताते हुए कहा जब पाकिस्तान भारतीय जवानों पर हमला करता है तब इनकी कलम की स्याही सूख जाती है।
@एजेंसी