भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बीफ का मुद्दा पूर्वोत्तर भारत में सिरदर्द बनता जा रहा है। मेघालय के दो पार्टी नेताओं के बीफ के मुद्दे पर इस्तीफा देने के बाद अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पूर्वोत्तर दौरे से पहले यहां के राज्यों की भाजपा इकाइयों के कई अध्यक्षों ने उन्हें आगाह किया है कि बीफ का मुद्दा पार्टी के राजनीतिक मंसूबों पर भारी पड़ सकता है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पूर्वोत्तर के राज्य प्रमुखों के अनुसार बीफ के मुद्दे से पार्टी को “नुकसान” पहुंच सकता है। बीजेपी की असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के प्रदेश अध्यक्षों ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा पूर्वोत्तर राज्यों में बीफ पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए।
बीफ के मुद्दे पर असम बीजेपी के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने कहा, “अधिसूचना में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है।” नगालैंड बीजेपी के अध्यक्ष विसासोली लहोंगू ने कहा, “नगालैंड में लोगों के लिए ये चिंता का विषय है। इससे ये संदेश जा सकता है कि बीजेपी पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति के खिलाफ है।”
अमित शाह अगले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने वाले हैं। नार्थ गारो हिल्स जिले के बीजेपी अध्यक्ष बाचू मराक ने सोमवार को और वेस्ट गारो हिल्स के जिला अध्यक्ष बरनार्ड मराक ने मंगलवार को बीफ के मुद्दे पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। दोनों नेताओं ने बीफ को गारो खान-पान की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बताते हुए इस मुद्दे पर पार्टी का समर्थन करने के बजाय पार्टी छोड़ना उचित समझा। बरनार्ड बराक ने पार्टी छोड़ते हुए कहा, “बीजेपी द्वारा सांप्रदायिक राजनीति थोपना हमें स्वीकार नहीं है।”
पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने पूर्वोत्तर में अपनी पहुंच बढ़ाई है। असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में पार्टी की सरकार है। बीजेपी 2019 के लोक सभा चुनाव में पूर्वोत्तर की सभी 24 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है। सिक्किम में दलाई लामा के प्रभाव में बहुत से लोग शाकाहारी हो रहे हैं लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दल बहादुर चौहान ने कहा कि खानपान की आदतों पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए।
@एजेंसी