मन्दसौर: 31 मई 2017 को मन्दसौर के पिपलियामंडी में पत्रकार कमलेश जैन की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। शुरू में शराब के अवैध धंधे से जुड़े कुछ लोगो पर शंका की सुई घूमी थी लेकिन जल्द ही ये साफ हो गया था पिपलियामंडी के प्रॉपर्टी व् कपडा व्यापारी सुधीर जैन ने हत्या करवाई है, मगर पुलिस द्वारा जाँच लगातार जारी रखी गयी।
लंबा समय गुजरने के बाद भी हत्या का खुलासा नहीं होने पर पत्रकारों द्वारा क्रमबद्ध आंदोलन किये गए। ज्ञापन,धरना, रैली, भूख हड़ताल का सहारा लिया गया फिर भी पुलिस जाँच की बात करती रही। इससे पत्रकारों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही थी। खैर आज 9 अगस्त को पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह द्वारा प्रेसवार्ता में खुलासा किया गया कि, कमलेश जैन की हत्या सुधीर जैन ने ही करवाई है। मन्दसौर के पत्रकारों ने बहुत पहले ही कई बार इस बात को पुरजोर ढंग से उजागर कर दिया था कि सुधीर जैन मुख्य षड्यंत्रकर्ता हे, और धीरज अग्रवाल के माध्यम से सुपारी दी गयी है।
पुलिस ने भी अब वही बात कही है कि सुधीर जैन की विधवा बहु से कमलेश जैन विवाह करना चाहता था लेकिन सुधीर जैन ये नहीं चाहता था क्योंकि उसकी बहु के नाम पर करीब 50 करोड़ की संपत्ति है जो शादी के बाद स्वतः ही कमलेश जैन की हो जाती। ये बात सुधीर को कतई रास नहीं आ रही थी और उसने मीनाक्षी ढाबे पर साजिश रची, इस हत्या को करवाने में मीनाक्षी ढाबे का संचालक धीरज अग्रवाल इसलिए साथ हुआ, क्योंकि उसके पिता जसवंत अग्रवाल को नगर पालिका चुनाव में हराने में कमलेश जैन की भूमिका थी।
धीरज ने प्रतापगढ़ जेल में बंद कुख्यात बदमाश आजम लाला व् गोपाल सन्यासी से संपर्क किया ये दोनों अपराधी सुधीर जैन के पार्टनर हे। योजना बनी और 50 लाख की सुपारी उठाई आज़म लाला के पुत्र जैद लाला ने जो नाबालिग बताया जा रहा है। एडवांस में 5 लाख रुपये धीरज ने अखेपुर जाकर जैद लाला को दिए और 45 लाख की गारंटी जेल में बंद गोपाल सन्यासी ने ली। इसके बाद आज़म लाला के इशारे प्रतापगढ़ के धर्मेंद्र घारू ने पिपलियामंडी जाकर कमलेश की रैकी की और फिर जैद लाला को बाइक पर साथ लेकर पिपलिया गया वह कमलेश जैन को उनके ऑफिस में गोली मार दी और फरार हो गए।
पुलिस ने हत्या का खुलासा तो कर दिया ओर हत्या में प्रयुक्त पिस्टल, मोटरसायकल ,मोबाइल और सिम कार्ड भी जप्ती में ले लिए लेकिन हत्यारों को मिडिया के सामने पेश नहीं किया इससे पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है। जैद लाला को नाबालिग बताकर पेश नहीं किया और धीरज अग्रवाल और सुधीर जैन को भी पेशी पर होने का कहकर पेश नहीं किया जबकि हत्यारों को मिडिया के सामने लाना था।
एक तो पुलिस ने बहुत देर से हत्या का खुलासा किया उसमे भी हत्यारों को छुपा लिया गया ये देखकर कमलेश जैन के परिजनों में भी निराशा देखि गयी जो प्रेसवार्ता में उपस्थित थे। पुलिस का ये रवैया समझ से परे रहा खुलासा देर से करने के पीछे भी राजनितिक दबाव से इंकार नहीं किया जा सकता हालाँकि एसपी ने किसी दबाव से इंकार किया है। खेर किसी ने भी सुधीर जैन को बचाने की लाख कोशिश की लेकिन सच छुप नहीं सकता पत्रकारों की आवाज़ ने हत्यारों को बेनकाब करवा ही दिया।
रिपोर्ट@ प्रमोद जैन