नई दिल्ली [ TNN ] सेना के सर्वोच्च लोगों के बीच चल रहे विवाद में सोमवार को नया मोड़ आया, जब भारत सरकार ने पूर्व आर्मी चीफ और अब मंत्री वी. के. सिंह की बात को अवैध, असंगत और पूर्वनियोजित बता दिया। इंडियन एक्सप्रेस अखबार की खबर के मुताबिक, सरकार ने वाइस चीफ दलबीर सिंह सुहाग के प्रमोशन का समर्थन किया।
यूपीए-2 सरकार ने सुहाग को सेना प्रमुख नियुक्त किया था। वह 31 जुलाई को रिटायर हो रहे जनरल बिक्रम सिंह की जगह लेंगे। आमतौर पर नए सेना प्रमुख के नाम का ऐलान दो महीने पहले कर दिया जाता है। सुहाग के एक पुरानी प्रमोशन पर लेफ्टिनेंट जनरल रवि दास्ताने ने कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में अप्रैल और मई 2012 में तत्कालीन जनरल वी. के. सिंह द्वारा उनके खिलाफ की गई जांच का भी जिक्र किया गया है। इस याचिका पर दाखिल हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि तब जनरल वी. के. सिंह ने जो कार्रवाई की थी, वह निराधार थी।
अप्रैल 2012 में वी. के. सिंह ने सुहाग पर कमांड की विफलता और नियंत्रण न रख पाने का आरोप लगाते हुए अनुशासनात्म कार्रवाई की थी। ऐसा एक इंटेलिजेंस यूनिट के ऑपरेशन के कारण हुआ था, जो सुहाग के नेतृत्व में चलाया जा रहा था।
वी. के. सिंह के रिटायर होने के एक पखवाड़े के भीतर ही नए सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने उनका फैसला पलटते हुए सुहाग के प्रमोशन की अनुमति दे दी। आर्मी कमांडर के इसी प्रमोशन के खिलाफ दास्ताने ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। दास्ताने का कहना है कि इस पोस्ट के लिए वह उपयुक्त उम्मीदवार थे, लेकिन जनरल बिक्रम सिंह ने पक्षपात करते हुए सुहाग को प्रमोट कर दिया, जबकि उस वक्त उन पर अनुशासनात्मक प्रतिबंध लगा हुआ था।
रक्षा मंत्रालय ने अपने हलफनामे में न सिर्फ दास्ताने की चुनौती को बकवास बताया है, बल्कि वी. के. सिंह के प्रतिबंध लगाने के तरीके की भी तीखी आलोचना की है।