19 वर्षीय युवती से बलात्कार के आरोप में घिरे में जैन मुनि शांतिसागर ने सफाई देते हुए कहा है कि दोनों के बीच मर्जी से संबंध बने। शांति सागर को शनिवार (14 अक्टूबर) को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, मेडिकल के समय शांतिसागर ने डॉक्टर से कहा कि वह उस लड़की को 5-6 महीने से पहचानते हैं। सागर के मुताबिक, ‘पीड़ित लड़की उनसे पहली बार मिलने के लिए परिवार सहित सूरत आई थी। वहां पर टीमलियावाड़ नानपुरा धर्मशाला में लड़की की रजामंदी से दोनों के बीच संबंध बने।’
जैन मुनि के अनुसार, उन्होंने ‘जीवन में पहली बार’ ऐसा किया। मेडिको लीगल में डॉक्टर ने यह सारी बातें लिखी हैं। जब डॉक्टर ने सागर से पूछा कि आप साधु हैं, ऐसा क्यों किया तो मुनि ने सिर झुका लिया। हालांकि मेडिकल के दौरान जरूरी सैंपल नहीं लिए जा सके। डॉक्टर्स का कहना था कि सागर तनाव में हैं, पुलिस उन्हें जांच के लिए फिर से लेकर आए।
मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी डीके राठौड़ के अनुसार, केस में चार लोगों ने बयान दिए हैं। सभी का दावा है कि लड़की और मुनि के साथ वे लोग भी वहां थे। दिगंबर जैन संत होने की वजह से शांतिसागर कपड़े नहीं पहनते। इसलिए पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद मेडिकल, कोर्ट में पेशी और जेल भेजने की प्रक्रिया के दौरान कपड़े पहनाए।
शांतिसागर पर लगे आरोपों पर जैन मुनि तरुण सागर ने भी प्रतिक्रिया दी है। तरुण सागर ने कहा कि ‘शांति सागर संत के वेश में पाखंडी है। ऐसे दुष्कर्मी को जैन समाज आदर्श नहीं मानता।’ तरुण सागर ने कहा कि ‘एकांत में मिलना गलत नहीं है मगर व्यवहार का ध्यान रखना जरूरी है।’
शांतिसागर का असली नाम गिरराज है। वे 22 साल की उम्र में मंदसौर में जैन संतों के संपर्क में आ गए। पढ़ाई बीच में छोड़ गिरराज ने दीक्षा ली और शांतिसागर महराज बन गए।