खंडवा [ TNN ] जिंदगी का अंधेरा समझकर क्या कोई रोशनी को ठुकरा सकता है? छैगांवमाखन में इसी तरह का वाकया घट रहा है। उत्तरप्रदेश के बहराईच से एक गर्भवती युवती को ट्रक में बैठा दिया गया। डेढ माह बाद उसने बच्ची को जन्म दिया। तीन माह की बच्ची व युवती को अब छैगांवमाखन की महिला पाल रही है।
युवती व बच्ची को ऋतंभरा देवी के वात्सल्य ग्राम ओंकारेश्वर में देने के लिये समाजसेवियों ने पहल की। आश्रम तैयार हो गया। अब तीन माह की बच्ची से महिला रमाबाई को इतना मोह हो गया है कि वह उसे छोडऩे को तैयार नहीं है। बच्ची के चक्कर में वह युवती को भी पाल रही है।
घटनाक्रम?
अर्धविक्षिप्त युवती कम बात करती है। वह इतना बताती है कि यूपी के बहराईच जिले की है। उसके तीन चार बच्चे भी हैं। घटना से लोग अनुमान लगा रहे हैं। वे भी लड़कियाँ रहीं होंगी। डिलेवरी पीरियड में पति की त्रासदी से विक्षिप्त हो गई। उसे ट्रक में बैठाकर छैगांवमाखन के पास छोड़ दिया गया। छैगांव में डेढ़ महीने घूमती रही। 19 मार्च को उसने सड़क पर ही पुत्री को जन्म दे दिया।
जाग गई ममता
गांव की ही रमाबाई ने उसे पाल लिया। युवती की सेवा की। इसे भी तीन महीने हो गए। पहले रमाबाई उसे आश्रम भेजने को तैयार थीं। तीन माह में बच्ची के प्रति ममता जाग गई। समाजसेवी सुनील जैन बच्ची व युवती के लिये कपड़े व तेल, साबुन भिजवाते रहे।
वात्सल्य ग्राम भेजने से इंकार
बच्ची को अच्छा वातावरण मिले। इसके लिये समाजसेवी सुनील जैन व आशीष चटकेले ने अज्ञात मां बेटी को ओंकारेश्वर के कोठी स्थित ऋतंभरा देवी के वात्सल्य ग्राम परमशक्ति पीठ भेजने की योजना बनाई। आश्रम की संरक्षिका साक्षी चेतना दीदी ने माँ बेटी को आश्रम में रखने की सहमति दे दी।
नवजात को लाई थी घर
गुरूवार को छैगांव पहुंचे सुनील जैन, आशीष चटकेले व गांव के प्रदीप कुशवाह को रमाबाई ने कहा कि पुत्री रोशनी से अब काफी मोह हो चुका है अब इसे और इसकी मां को मैं ही पालुंगी। रमाबाई का ममत्व जाग गया। उन्होंने कहा कि बच्ची से मुझे अटैचमेंट हो गया है। किसी भी स्थिति में बच्ची देने को इंकार कर दिया। सच भी है। रमाबाई ने ही तीन महीने उसे सीने से लगाए रखा। सच कहें तो पहला अधिकार भी उसी का बनता है। बच्ची के लिये रमाबाई उस विक्षिप्त महिला को भी रखने को तैयार है।
कौन हैं रमाबाई?
रमाबाई छैगांवमाखन की संवेदनशील महिला हैं। पहले ढाबा भी था। खेती बाड़ी भी है। पति का पहले निधन हो चुका है। एक बेटा भी अकाल मौत का शिकार हो गया। बेटियों की शादी हो गई। सड़क पर डिलेवरी का सुनकर रमाबाई ने युवती व नवजात को घर पर परवरिश के लिये रख लिया। थाने व अन्य सरकारी विभागों में सूचना दे दी। एक अन्य उड़ीसा की महिला को भी वे 15 साल से पाल रही हैं। सुनील जैन ने बच्ची का नाम पहले ही रोशनी रख दिया था। यही नाम से बच्ची चर्चित हो रही है।
मां-बेटी की जानकारी प्रशासन को है
सड़क पर डिलेवरी का मसला तत्कालीन कलेक्टर नीरज दुबे को भी पता है। कलेक्टर शिल्पा गुप्ता को भी इस मामले की पूरी जानकारी है। तत्क ालीन महिला बाल विकास अधिकारी राजेश गुप्ता व वर्तमान प्रभारी श्री सोलंकी को भी जानकारी में है लेकिन मां बेटी के लिए प्रशासन ने अपने कदम नहीं बढ़ाए।
शासन क्यों उदासीन बना?
अब सवाल यह उठता है कि शासन प्रशासन व महिला बाल विकास विभाग में इस तरह के अनाथों के लिये कोई योजना नहीं है क्या? यदि नहीं तो शिवराज सरकार कैसी संवेदनशील है। समाजसेवियों के जिम्मे ही क्या सड़क पर डिलेवरी व उनकी परवरिश का जिम्मा सौंप दिया गया है? महिलाओं व बच्चों के लिये हर तरह की डिलेवरी संबंधी योजनाएं हैं। फिर महिला बाल विकास अधिकारी, दो दो कलेक्टरों को जानकारी होने के बाद भी शिवराज की भान्जी सड़क पर पैदा हो रही हैं।
रिपोर्ट – शीतल नागर [ खंडवा ]