किन्नरों की दुनिया भी अजब-गजब होती है। इनकी जिंदगी और मौत से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं, जिन्हें जानने के बाद आप चौंक जाएंगे। तमाम लोगों के मन में इनके बारे में अधिक से अधिक जानने की कौतुहल होती है।
जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक दो लाख से अधिक किन्नर देश में रहते हैं। किन्नरों के अंतिम संस्कार की बात करें तो यह बहुत गोपनीय होता है। दुनिया की निगाहों से बचाकर किन्नरों के अंतिम संस्कार की परंपरा है। इस लेख में किन्नरों के अंतिम संस्कार से जुड़ी ऐसी ही बातों को हम बता रहे हैं।
किन्नर समुदाय से जुड़े लोगों के मुताबिक मौत के बाद किन्नर को दफनाने की परंपरा है। जबकि हिंदू परंपरा के अनुसार शवों को जलाते हैं। आम इंसानों और किन्नरों के अंतिम संस्कार के बीच जो सबसे बड़ा अंतर है, वो है इसकी गोपनीयता।
आम इंसानों का अंतिम संस्कार सार्वजनिक रूप से होता है, मगर किन्नरों का अंतिम संस्कार गुपचुप रूप से। इसके पीछे भी एक मान्यता है। कहा जाता है कि अगर शव पर किसी आम इंसान का ध्यान चला जाता है तो मरे हुए किन्नर को अगले जन्म में भी किन्नर बनना पड़ता है। वहीं जो देखता है, उसे भी किन्नर रूप में जन्म लेना पड़ सकता है। इसीलिए किन्नरों की शवयात्रा रात में निकाली जाती है।
दूसरी चौंकाने वाली बात है कि किन्नरों की मौत के बाद साथी किन्नर दुखी नहीं होते। बल्कि खुशी मनाते हैं। किन्नर वर्ग में मौत को मुक्ति के रूप में देखा जाता है। उनका मानना है कि मौत के बाद किन्नर जीवन के नर्क से कम से कम उन्हें मुक्ति मिल गई।
किन्नरों के अंतिम संस्कार में और भी कई अजीब बातें देखने को मिलती हैं। मसलन, किन्नरों के शव को जूते से पीटा जाता है। इतना ही नहीं मौत होने पर आसपास का किन्नर समुदाय कम से कम एक हफ्ते तक कुछ भी नहीं खाता।
किन्नरों की मौत के बाद भगवान से उसके दोबारा किन्नर के रूप में जन्म न लेने की साथी किन्नर प्रार्थना करते हैं। ईश्वर को प्रसन्न करने की कामना के साथ किन्नर मौत के बाद दान आदि क्रिया में सहभागिता निभाते हैं।