त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने अब महिलाओं की सौंदर्य प्रतियोगिता पर अपना ताजा बयान दिया है।
बिप्लब देब का मानना है कि खूबसूरती के लिए महिलाएं ब्यूटी पार्लर पर निर्भर करती है और 1997 में मिस इंडिया वर्ल्ड बनीं डायना हेडन ताज के काबिल नहीं थीं।
द नॉर्थ ईस्ट टुडे की खबर के मुताबिक विवादित बयान देकर सुर्खियां बटोरने वाले बिप्लब देब ने अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं और उनके पीछे होने वाले व्यापार पर अपने विचार रखे हैं।
बिप्लब देब ने कहा कि पहले भारतीय महिलाएं डेंड्रफ (रूसी) से निजात पाने के लिए शैंपू लगाने के बजाय बालों को धोने के लिए स्थानीय पत्तियों का इस्तेमाल करती थीं। बिप्लब देब ने आगे कहा कि भारतीय महिलाएं जब अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीतने लगीं तो सौंदर्य उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को भारत के बाजारों में अपने उत्पाद घुसाने का मौका मिल गया।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक अमूमन टूटी-फूटी हिंदी बोलने वाले बिप्लब देब ने कहा कि सभी अंतरराष्ट्रीय फैशन और डिजाइन प्रतियोगिताओं के पेरिस आधारित आयोजनकर्ता ‘अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग माफिया’ है।
बिप्लब देब ने कहा- ”वे लड़कियों को भर्ती करते हैं और फिर फैब्रिक के साथ रैंप पर चलवाते हैं। जो लोग सर्टिफिकेट बांटते हैं वे सभी अंतरराष्ट्रीय टेक्सटाइल मार्केट माफिया हैं। वे पहले से तय कर लेते हैं कि इस बार अवॉर्ड किसे देना है और यह 100 फीसदी सच है।”
उन्होंने दावा किया कि भारतीयों को 5 वर्षों तक लय बद्ध तरीके से मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स के अवार्ड से नवाजा गया जिससे भारतीय कॉस्मेटिक बाजार को कब्जाया जा सके तब से जब पुराने वक्त में भारतीय महिलाएं कॉस्मेटिक और शैंपू का इस्तेमाल नहीं करती थी।
बिप्लब देब ने कहा- ”भारतीय महिलाएं कॉस्मेटिक इस्तेमाल नहीं करती थीं। वे शैंपू का इस्तेमाल नहीं करती थीं। हम बालों के गिरने पर मेथी के पानी और मिट्टी से बाल धोते थे। सौंदर्य प्रतियोगिताओं के आयोजक अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग माफिया हैं, जिन्होंने 125 करोड़ भारतीयों के बाजार पर कब्जा करने की कोशिश की, जिनमें आधी महिलाएं हैं। हर कोने में एक ब्यूटी पार्लर है।”
बिप्लब देव ने कहा कि जब से बाजार कब्जाया जा चुका है, तब से सौंदर्य प्रतियोगिताओं को जीतने वाले भारत के नहीं हैं। हालांकि वह हरियाणा की मानुषी छिल्लर की बात भूल गए जो 2017 में विश्व सुंदरी बनी थीं। हाल ही में बिप्लब देव महाभारत काल में इंटरनेट उपलब्ध होने का दावा कर विवादों में आ गए थे।