लखनऊ / फतेहपुर: 17 वीं लोकसभा के लिए चुनावी सरगर्मियां तेजी से बढ़ रही हैं। चुनाव आयोग द्वारा जहां सभी तैयारियां पूरी की जा रही हैं। वहीं राजनैतिक दलों द्वारा प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी तेजी से की जा रही है। समाजवादी पार्टी-बसपा गठबंधन ने तो फतेहपुर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। जबकि सत्तारूढ़ भाजपा व कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस पार्टी इस लोकसभा सीट पर काफी समय से सूखे की मार झेल रही है। इसलिए इस बार यह सीट कांग्रेस के लिए बड़ी अहम मानी जा रही है। हाल ही में प्रियंका गांधी ने राजनैतिक क्षेत्र में कदम रखा है। जिन्हें कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव के पद से नवाजा गया है। यदि इस बार फतेहपुर लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाया गया तो जहां सभी दलों की मुश्किलें बढ़ जायेंगी वहीं कई वर्षों के सूखे से पार्टी भी उभार सकती है।
इस वर्ष का लोकसभा चुनाव बेहद ही दिलस्प होने वाला है। क्योंकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी जहां अपनी साख बचाने में जुटी हुयी है। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सत्ता हासिल करना चाहती है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कई प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन भी किया है। इसी प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस के अंदर एक नई आस भी जाग गयी है। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले ही प्रदेश में अपना एक बड़ा दांव भी खेल दिया है। रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में सोनिया गांधी व अमेठी लोकसभा सीट पर राहुल गांधी के लिए प्रचार करने वाली प्रियंका गांधी को जनता की मांग पर पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव व पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना दिया गया। प्रियंका गांधी के राजनीतिक क्षेत्र में औपचारिक रूप से आने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। इस ऊर्जा को बरकरार रखते हुए कांग्रेस लोकसभा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य यह है कि उत्तर प्रदेश से अधिक से अधिक सीटें हासिल करे।
राजनैतिक जानकारों की मानें तो प्रियंका गांधी के पार्टी में आने से इसका असर लोकसभा चुनाव में अवश्य देखने को मिलेगा। उधर समाजवादी पार्टी व बसपा द्वारा गठबंधन कर लिये जाने से कांग्रेस प्रदेश में अलग-थलग भी पड़ी है। इन कठिनाईयों को पार करना कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। चुनौती को स्वीकार करते हुए यदि फतेहपुर लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी को टिकट दिया गया तो यह कहना गलत न होगा कि वह सभी दलों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगी। क्योंकि युवा वर्ग की मांग है कि इस बार इस लोकसभा से प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाया जाये। जानकारों का कहना है कि प्रियंका गांधी की लोकप्रियता प्रदेश में किसी बड़े नेता से कम नही है। यदि उनको पार्टी ने इस लोकसभा से प्रत्याशी बनाया तो उनकी जीत निश्चित होगी। बताते चलें कि 1957 से शुरू हुए लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीट से कांग्रेस पार्टी के अंसार हर्वानी ने जीत दर्ज करायी थी। इसके बाद वर्ष 1962 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में आईएनडी के गौरी शंकर कक्कड़ ने जीत का परचम लहराया था। वर्ष 1967 व 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के संत बक्श सिंह ने दो बार जीत हासिल की थी।
इसके बाद वर्ष 1977 में भारतीय लोक दल के बशीर अहमद, वर्ष 1978 में जनता पार्टी के सैय्यद लियाकत हुसैन ने जीत का परचम लहराया था। इसके बाद पुनः वर्ष 1980 व 1984 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के हरिशंकर शास्त्री ने पार्टी को जीत दिलाई थी। उनकी यह जीत बेहद अहम भी थी। 1984 के बाद से अब तक कांग्रेस का जिले में कोई वजूद नहीं रहा। 1989 व 1991 के हुए चुनावों में जनता दल के वीपी सिंह, 1996 में बसपा के विशंभर प्रसाद निषाद, 1998 व 1999 के चुनावों में भाजपा के अशोक पटेल, 2004 के चुनावों में बसपा के महेन्द्र निषाद, 2009 के चुनाव में सपा के राकेश सचान व 2014 के चुनाव में बीजेपी की साध्वी निरंजन ज्योति ने जीत हासिल की। इस दौरान कांग्रेस पार्टी द्वारा कोई कद्दावर नेता को यहां से टिकट न देना ही हार का कारण बन गया। जानकारों का कहना है कि यदि इस बार कांग्रेस ने प्रियंका गांधी पर दांव लगाया तो निश्चित तौर पर जीत हासिल होगी और वह कई वर्षों के सूखे से पार्टी को उभार देंगी। उधर सूत्रों की मानें तो कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का दौरा जिले में जल्द होने वाला है। वह कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर जिले की भौगोलिक स्थिति को जानने का प्रयास करेंगी। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रियंका गांधी के नाम पर राष्ट्रीय नेतृत्व विचार कर रहा है।
रिपोर्ट @ शीबू खान