खंडवा : वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.हर्षनारायण ‘नीरव’ की प्रथम पुण्यतिथि पर उनकी दो नवीन प्रकाशित पुस्तक “झाबुआ की टोकनी में बार-बार तक-झाँक”तथा “हर पंखुरी महकेगी” का लोकार्पण हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ साहित्यकार गोविन्द गुँजन ने कहा कि-“डॉ.नीरव का साहित्य ज्ञान का असीम सागर है।पाठक उसमें जितना गहरा गोता लगाता है उतना ही अधिक दुर्लभ मोती ढूँढकर लाता है।साहित्यकार कभी मरता नहीं वो अपने शब्दों में अमर रहता है।डॉ.नीरव अपने साहित्य में हमारे बीच उपस्थित हैं।वे सादगी पसन्द व्यक्ति थें।उन्होंने कभी आडम्बर नहीं किया।नीरव शहर के पहले ऐसे साहित्यकार हैं जिन्हें मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अशोक गीते ने कहा कि-“नीरव बहुमुखी प्रतिभा के धनी थें।उन्होंने कईं नाटक लिखे और उनका मंच निर्देशन भी किया।”
“हर पंखुरी महकेगी” पर समीक्षा करते हुए रमाकांत पांडे ने कहा कि-“पुस्तक का शीर्षक अपने पाठकों को सकारात्मक संदेश देता है।जिस प्रकार से पुष्प की प्रत्येक पंखुरी महकती है उसी प्रकार से व्यक्ति भी अपने सद्कर्मों, विवेक,बुद्धि,ज्ञान और आचरण से महकता रहता है।”
समीक्षक शैलेन्द्र शरण ने “झाबुआ की टोकनी में बार-बार ताक-झाँक” की समीक्षा करते हुए अपने विचार रखते हुए कहा कि-“ये पुस्तक डॉ.नीरव के गम्भीर अनुभवों का निचोड़ है।जब श्री नीरव झाबुआ में रहते थें तब उनके साथ बीती खट्टी-मीठी घटनाओं को उन्होंने शब्दबद्ध किया है।”
समीक्षा करते हुए डॉ.नीरज दीक्षित ने कहा-“डॉ.नीरव अपने पाठकों को महाभारत तथा रामायण की घटनाओं और क्षेपकों के माध्यम से मूल्यवान संदेश देना चाहते हैं।”
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मंगला चौरे ने तथा आभार प्रदर्शन अरविंद कुशवाह ने किया।इस अवसर पर सर्वश्री रघुवीर शर्मा,पंकज लाड़, सूर्यकांत गीते,आनन्द पेंडसे,श्याम सुन्दर तिवारी,गोविन्द शर्मा,दो.भारती पराशर,रितेश कालभोर तथा वैभव कोठारी ने भी अपने विचार प्रकट किए।