मध्य प्रदेश में अपहरण के बाद कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई एक 19 वर्षीय युवती की गुहार मंजूर करते हुए उच्च न्यायालय ने उसे गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है।
पीड़ित युवती को करीब नौ हफ्ते का गर्भ है। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह ने युवती की ओर से दायर याचिका सोमवार को स्वीकृत कर ली जिसमें उसने कानूनी तौर पर अपने गर्भपात की अनुमति मांगी थी।
अदालत के आदेश पर गठित मेडिकल बोर्ड ने सामूहिक बलात्कार पीड़ित युवती की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसका सुरक्षित गर्भपात कराया जा सकता है।
पड़ोसी देवास जिले में कुछ समय पहले दो लोगों ने युवती को कथित तौर पर अगवा किया और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस मामले की सुनवाई देवास की एक अदालत में चल रही है।
भ्रूण के डीएनए सैंपल लेने के निर्देश
इस केस के मद्देनजर उच्च न्यायालय की वकेशन बेंच ने यह आदेश भी दिया है कि पीड़ित युवती के गर्भपात के साथ भ्रूण का डीएनए सैंपल लिया जाये और इसे सुरक्षित रखा जाए।
पीड़ित युवती के वकील धमेंद्र चेलावत ने बताया कि युवती की ओर से दायर अर्जी में उच्च न्यायालय से कहा गया था कि सामूहिक दुष्कर्म की वारदात के बाद वह मानसिक सदमे से गुजर रही है और अपने भविष्य को देखते हुए अवांछित गर्भ से मुक्ति चाहती है।