26.8 C
Indore
Wednesday, April 2, 2025

सच को सच कह दोगे अगर तो फांसी पर चढ़ जाओगे

भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खाता जा रहा है। भारत का कोई भी नागरिक ऐसा नहीं जो देश में फैली भ्रष्ट व्यवस्था से दुखी न हो। पूरे विश्व में इस बात के प्रबल चर्चे हैं कि भारत में रिश्वत के बिना कोई काम ही नहीं होता। इन चर्चाओं को उस समय और अधिक मज़बूती मिल जाती है जब कोई बड़ा नेता,मंत्री,पूर्व मंत्री सांसद या विधायक स्तर का कोई व्यक्ति या अफ़सरशाही से संबंधित लोग रिश्वतख़ोरी के आरोपों में शामिल पाए जाते हैं। ले देकर न्यायपालिका पर इस तरह के आरोप या तो नहीं लगा करते थे या तुलनात्मक रूप से बहुत कम लगते थे। हाँ लोग दबी ज़ुबान में निचली अदालतों के कुछ भ्रष्ट जजों के लिए ऐसी बातें ज़रूर किया करते थे। यदि कोई जज भ्रष्ट या रिश्वतख़ोर होता भी था तब भी आम लोग उसके विरुद्ध मुंह खोलने का साहस नहीं कर पाते थे।परन्तु अब अदालतों को लेकर लोगों की ज़ुबान पर लगे ताले भी टूटने लगे हैं। ख़ास तौर पर आम लोग या मीडिया इस विषय पर आसानी से अपने विचार व्यक्त कर सकता है या ऐसी ख़बरें प्रसारित कर सकता है जिसमें किसी जज या जस्टिस के भ्रष्ट या रिश्वतख़ोर होने के पुख़्ता प्रमाण हों।

“बिल्ली के गले में घंटी डालने” की यह खुली शुरुआत 2014 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने अपने एक ब्लॉग में यह लिखकर की थी कि ” उच्च न्यायालयों में 50 प्रतिशत जज भ्रष्ट हैं”। उन्होंने एक के बाद एक कई ऐसे आरोप लगाए थे जो न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाले थे। हालाँकि इससे पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भरूच भी 2001 में ही यह कह चुके थे कि हाई कोर्ट के 20 प्रतिशत जज भ्रष्ट हो सकते हैं। परन्तु 2014 आते आते जस्टिस काटजू ने इस संख्या में तीस प्रतिशत का इज़ाफ़ा करते इसे 50 प्रतिशत बता डाला। काटजू ने यह भी कहा था कि भारतीय न्याय प्रणाली में बड़ी ख़ामी है जिसे ठीक किया जाना बहुत ज़रूरी है। जस्टिस काटजू ने अपने लिखे एक ब्लॉग में सु्प्रीम कोर्ट के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया और न्यायाधीश केजी बालकृष्णन पर गंभीर आरोप लगाए थे।काटजू ने लिखा था कि ‘मैं इलाहबाद हाईकोर्ट का चीफ़ जस्टिस था। तब वहां काम कर रहे भ्रष्ट जज के बारे में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ़ जस्टिस एसएच कपाड़िया को बताया था। पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में जस्टिस कपाड़िया ने मुझसे सच्चाई का पता लगाने को कहा। मैं उस वक्त सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका था।

जस्टिस काटजू ने आगे लिखा,कि ‘…कुछ दिनों बाद मुझे एक फ़ंक्शन में हिस्सा लेने इलाहाबाद जाना पड़ा। वहां मैंने तीन वकीलों से संपर्क किया। उनसे मुझे उस जज के एजेंटों के तीन मोबाइल नंबर मिले। इनकी सहायता से वे पैसे लिया करते थे। दिल्ली लौटने पर मैंने तीनों मोबाइल नंबर जस्टिस कपाड़िया को दे दिए और कहा कि इन नंबरों की इंटेलिजेंस एजेंसी से कहकर निगरानी करवानी चाहिए। टेपिंग कराने पर जज के भ्रष्टाचार का ख़ुलासा भी हो गया। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।…’ जस्टिस काटजू ने लिखा कि, -‘इसके बाद मैंने ऐसे ही पांच और भ्रष्ट जजों के नाम दिए। लेकिन उनका ट्रांसफ़र हाईकोर्ट में कर दिया गया। उन पर भी कार्रवाई नहीं हुई। मुझे बताया गया कि भ्रष्ट जजों को बर्ख़ास्त करने से न्यायपालिका की छवि ख़राब होगी।जस्टिस काटजू ने अपने ब्लॉग के द्वारा ऐसी और भी कई दलीलें पेश कीं जो न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करने वाली थीं। उनके ऐसे बयान या ब्लॉग न तो कोरी कल्पनाओं पर आधारित हैं न ही वे अपने ही उस विभाग की बदनामी करना चाहते हैं जिसकी उन्होंने व उनके पिता जस्टिस शिवनाथ काटजू ने दशकों तक सेवा की है। बल्कि दरअसल वे सच बोलकर उस न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों को ख़बरदार करना चाहते हैं जिसपर देश की जनता आँखें मूँद कर विश्वास करती है। जस्टिस भरूच अथवा जस्टिस काटजू ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण भी स्वयं सर्वोच्च न्यायलय में एक हलफ़नामे के माध्यम से यह कह चुके हैं कि पूर्व के 16 मुख्य न्यायाधीश भ्रष्ट थे।

आज एक बार फिर देश की न्याय पालिका की साख पर संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं। एक बार वही सवाल फिर खड़ा हो रहा है कि न्याय पालिका की साख को बचने के लिए इसमें फैले भ्रष्टाचार को उजागर करना ज़रूरी है या इसकी साख बचाने के बहाने भ्रष्टाचार पर पर्दा डालना ज़रूरी है? इस बार पटना उच्च न्यायलय के एक वरिष्ठ जज जस्टिस राकेश कुमार ने अपने ही वरिष्ठ सहयोगियों व अपने अधीनस्थ की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि लगता है कि उच्च न्यायलय प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है। उन्होंने ये सख़्त टिप्पणी पूर्व आइएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले की सुनवाई के दौरान की और जानना चाहा कि सर्वोच्च न्यायलय व उच्च न्यायालय से ज़मानत ख़ारिज होने के बावजूद निचली अदालत ने रमैया को ज़मानत कैसे दे दी ? उन्होंने कहा कि रमैया की अग्रिम ज़मानत की याचिका उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ख़ारिज कर दी गई थी, इन्होनें निचली अदालत से अपनी ज़मानत मैनेज की वो भी तब जब निगरानी विभाग के नियमित जज छुट्टी पर थे, उनके बदले जो जज प्रभार में थे उनसे ज़मानत ली गई. जस्टिस राकेश कुमार ने ये भी कहा कि जिस न्यायिक अधिकारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो चुका है उसे भी बर्ख़ास्त करने के बजाय मामूली सज़ा देकर छोड़ दिया जाता है. स्टिंग में कोर्ट कर्मचारी घूस लेते पकड़े जाते हैं फिर भी उनपर कार्रवाई नहीं की जाती. जस्टिस कुमार ने रमैया के स्टिंग मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए मामले की जांच सी बी आई को सौंप दी थी। उन्होंने अपने फ़ैसले में सरकारी बंगलों में हो रही फ़ुजूल ख़र्चियों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि जजों के सरकारी बंगलों में करदाताओं के करोड़ों रुपये साज-सज्जा पर ख़र्च कर दिए जाते हैं. जस्टिस कुमार ने अपने आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, पीएमओ, क़ानून मंत्रालय और सी बी आई निदेशक को भी भेजने का आदेश कोर्ट में दिया. ग़ौर तलब है कि जस्टिस राकेश चारा घोटाला केस में सीबीआई के वकील भी रह चुके है और इस मामले में अभियुक्तों को सज़ा दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

परन्तु जस्टिस कुमार के इस फ़ैसले के बाद पटना उच्च न्यायालय के 11 सदस्यों की बेंच ने जस्टिस राकेश कुमार के फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया। कोर्ट की 11 सदस्यीय बेंच ने कहा,कि ‘पूरा फ़ैसला जज की सोच के धर्मयुद्ध के नाम पर नेचुरल जस्टिस, न्यायिक अनुपयुक्तता,दुर्भावनापूर्ण निंदा के सिद्धान्तों का उल्लंघन है.’ बेंच ने कहा, ‘जज ने स्वयं को अपने अनुभवों का अकेला सलाहकार ठहरा दिया और बाक़ी जजों की राय भी नहीं जानी. जो सोच फैलाई गई, वह कुछ इस तरह है, जैसे जज ने जो कहा है, केवल वही सच है और बाक़ी की दुनिया समाज की कुरीतियों से बेख़बर है.’। इतना ही नहीं बल्कि चीफ़ जस्टिस ने उन्हें नोटिस जारी करते हुए किसी भी केस की सुनवाई करने पर रोक भी लगा दी । अपने विरुद्ध आए इन फ़ैसलों के बाद जस्टिस कुमार ने कहा,कि ‘मैं अपने फ़ैसले पर अडिग हूं और मैंने वही किया जो मुझे सही लगा. अगर चीफ़ जस्टिस न्यायिक कार्य से मुझे हटाकर ख़ुश हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है.। ज़ाहिर है कि जस्टिस कुमार को यह सज़ा इन चार जाएज़ व माक़ूल सवालों को उठाने के लिए दी गई है कि 1-हाईकाेर्ट से ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज हाेने के बाद निचली अदालत ने रमैया काे ज़मानत कैसे दे दी? 2-भ्रष्टाचार का केस साबित होने पर भी पटना के एडीजे की बर्ख़ास्तगी क्यों नहीं हुई? 3- सरकारी बंगलों के रखरखाव पर फ़ुज़ूल ख़र्ची क्यों की गयी ?टैक्स पेयर के करोड़ों रुपए साज-सज्जा पर ख़र्च क्यों किए जा रहे हैं। और चौथा सवाल यह कि -स्टिंग में कोर्ट कर्मी घूस लेते पकड़े गए फिर भी अब तक केस दर्ज क्यों नहीं किया गया? जस्टिस कुमार ने अपने लंबे-चौड़े आदेश में बिहार की निचली अदालतों और हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को मिल रहे संरक्षण पर उन्होंने कहा कि “अनुशासनात्मक कार्यवाही में जिस न्यायिक अधिकारी के ख़िलाफ़ आरोप साबित हो जाता है, उसे मेरी अनुपस्थिति में फ़ुल कोर्ट की मीटिंग में बर्ख़ास्त करने की बजाय मामूली सज़ा देकर छोड़ दिया जाता है। मैंने विरोध किया तो उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। लगता है कि हाईकोर्ट की परिपाटी भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देने वाली बनती जा रही है। यही कारण है कि निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी रमैया जैसे भ्रष्ट अफ़सर को ज़मानत देने की धृष्टता करते हैं।”

क्या ऐसा सच्चाई भरे कड़वे सवाल किसी जज के द्वारा उठाया जाना अदालत की शान या उसकी साख के ख़िलाफ़ है ?या भ्रष्टाचार का शिकार होती जा रही पवित्र व विश्वसनीय समझी जाने वाली इस व्यवस्था में जस्टिस भरुच,जस्टिस काटजू व जस्टिस कुमार जैसे और भी जज होने की ज़रुरत है?यदि जस्टिस कुमार जैसे ईमानदार व स्पष्टवादी जजों के विरुद्ध भी कार्रवाइयां होने लगीं तो निश्चत रूप से यही सन्देश जाएगा कि न्यायालय ने सत्य का नहीं बल्कि असत्य का साथ दिया। न्याय का नहीं बल्कि अन्याय का साथ दिया। और ऐसा सन्देश देश की न्याय व्यवस्था को संदिग्ध करेगा। शायद इसी अवसर के लिए शायर को कहना पड़ा है-
झूठ सलीक़े से बोलोगे तो सच्चे कहलाओगे

सच को सच कह दोगे अगर तो फांसी पर चढ़ जाओगे।

:-तनवीर जाफ़री

Tanveer Jafri ( columnist),
098962-19228
0171-2535628

Related Articles

7Slots Hosgeldin Bonusu: Eglence Dolu Kazanç Firsati

Birine sürpriz bir hediye vermek muhataplarini mutlu etmenin en esas yaklasimlarindan bir tanesidir. Türü ayirt edilmeksizin mevzubahis hediye endorfin seviyelerini hizla yukari çeker....

Поиграть в лучших интернет игорных заведениях с бонусами на средства

Изначальные онлайн казино стартовали много лет назад — несколько десятилетий назад. В 1994 году времени корпорация Microgaming выпустила первоначальную цифровую игровой автомат, которая имитировала...

Обход фильтров онлайн игорного заведения с плюшками.

Гемблинг ресурсы заблокированы интернет-провайдерами по приказу властей. Данное решение обусловлено суровым правилами в отрасли азартных игр. Подвергаются блокировку попадают в том числе виртуальные казино...

Обзор утвержденного портала виртуального казино с бонусами

Престижная площадка казино 7К предлагает множество слотов от международных провайдеров. Игровые автоматы 777, табличные и игральные игры, аварийные игры с мгновенными вознаграждениями, настоящие дилеры,...

Рассмотрение официального веб-сайта интернет-казино с вознаграждениями

Игровая платформа игровые автоматы 7К предлагает игры на любой вкус. Игровые автоматы многочисленных категорий, настоящие крупье и игровые площадки – доступна широкая подборка программного...

Основной портал онлайн-казино: достоинства и бонусы

Виртуальное казино Maxbet casino — популярная платформа, которая даёт посетителям опцию играть в азартные игры, используя различные устройства, в любом месте, где есть интернет-соединение....

Мгновенная регистрация в виртуальном казино с привилегиями.

Вознаграждения в гемблинговом клубе разработаны для заманивания новых и вознаграждения постоянных посетителей. Для того чтобы в полной мере воспользоваться бенефитами программы вознаграждений, необходимо пройти...

Lisanslı bir sanal kumarhanesinin bonuslar ile avantajları.

İzin; Kumar platformunun en önemli faktörlerinden biri olan iyi niyet ve güvenilirlik. Çevrimiçi kumar kuruluşu ödülleri varsa lisansı, promosyonları sürekli düzenlenir ve ödül miktarları...

Sanal kumarhane promosyonlar eğlen güncellenmiş yedek bağlantı 7 slots

Çevrimiçi platform 7 slots, çeşitli eyalet kullanıcıları arasında talep gören çok sayıda ülke sezgisel tasarım, kapsamlı şans oyunları seçimi, adil oyun koşulları ve adil...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
138,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

7Slots Hosgeldin Bonusu: Eglence Dolu Kazanç Firsati

Birine sürpriz bir hediye vermek muhataplarini mutlu etmenin en esas yaklasimlarindan bir tanesidir. Türü ayirt edilmeksizin mevzubahis hediye endorfin seviyelerini hizla yukari çeker....

Поиграть в лучших интернет игорных заведениях с бонусами на средства

Изначальные онлайн казино стартовали много лет назад — несколько десятилетий назад. В 1994 году времени корпорация Microgaming выпустила первоначальную цифровую игровой автомат, которая имитировала...

Обход фильтров онлайн игорного заведения с плюшками.

Гемблинг ресурсы заблокированы интернет-провайдерами по приказу властей. Данное решение обусловлено суровым правилами в отрасли азартных игр. Подвергаются блокировку попадают в том числе виртуальные казино...

Обзор утвержденного портала виртуального казино с бонусами

Престижная площадка казино 7К предлагает множество слотов от международных провайдеров. Игровые автоматы 777, табличные и игральные игры, аварийные игры с мгновенными вознаграждениями, настоящие дилеры,...

Рассмотрение официального веб-сайта интернет-казино с вознаграждениями

Игровая платформа игровые автоматы 7К предлагает игры на любой вкус. Игровые автоматы многочисленных категорий, настоящие крупье и игровые площадки – доступна широкая подборка программного...