नई दिल्ली: रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार ग्रहण करने के लिए मनीला पहुंचे NDTV के रवीश कुमार ने कहा कि नागरिकों को दो समूहों में बांट दिया गया है एक राष्ट्रवादी और दूसरी ओर राष्ट्रद्रोही। अपने भाषण में और बाद में सवाल-जवाब वाले सेशन में रवीश कुमार कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह समय नागरिक होने के इम्तिहान का है। नागरिकता को फिर से समझने का है और उसके लिए लड़ने का है। यह जानते हुए कि इस समय में नागरिकता पर चौतरफा हमला हो रहे हैं और सत्ता की निगरानी बढ़ती जा रही है, एक व्यक्ति और एक समूह के तौर पर जो इस हमले से ख़ुद को बचा लेगा और इस लड़ाई में मांज लेगा, वही नागरिक भविष्य के बेहतर समाज और सरकार की नई बुनियाद रखेगा।
दुनिया ऐसे नागरिकों की ज़िद से भरी हुई है। नफ़रत के माहौल और सूचनाओं के सूखे में कोई है, जो इस रेगिस्तान में कैक्टस के फूल की तरह खिला हुआ है। रेत में खड़ा पेड़ कभी यह नहीं सोचता कि उसके यहां होने का क्या मतलब है, वह दूसरों के लिए खड़ा होता है, ताकि पता चले कि रेत में भी हरियाली होती है। जहां कहीं भी लोकतंत्र हरे-भरे मैदान से रेगिस्तान में सबवर्ट किया जा रहा है, वहां आज नागरिक होने और सूचना पर उसके अधिकारी होने की लड़ाई थोड़ी मुश्किल ज़रूर हो गई है। मगर असंभव नहीं है।
नागरिकता के लिए ज़रूरी है कि सूचनाओं की स्वतंत्रता और प्रामाणिकता हो। आज स्टेट का मीडिया और उसके बिज़नेस पर पूरा कंट्रोल हो चुका है। मीडिया पर कंट्रोल का मतलब है, आपकी नागरिकता का दायरा छोटा हो जाना। मीडिया अब सर्वेलान्स स्टेट का पार्ट है। वह अब फोर्थ एस्टेट नहीं है, बल्कि फर्स्ट एस्टेट है। प्राइवेट मीडिया और गर्वनमेंट मीडिया का अंतर मिट गया है। इसका काम ओपिनियन को डायवर्सिफाई नहीं करना है, बल्कि कंट्रोल करना है। ऐसा भारत सहित दुनिया के कई देशों में हो रहा है।