नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमारा अगला एजेंडा अब पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेना है और उसे भारत में शामिल करना है। उन्होंने कहा कि यह ना सिर्फ मेरा या मेरी पार्टी की प्रतिबद्धता नहीं है बल्कि यह वादा 1094 में कांग्रेस की सरकार ने किया था। जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रस्ताव 1994 में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार के मुखिया पीवी नरसिम्हा राव की अध्यक्षता में संसद में पास किया गया था। गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से अब जो भी बात होगी वह पाक अधिकृत कश्मीर पर होगी।
बता दें कि इससे पहले जितेंद्र सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को दिए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद अब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के भारत में एकीकरण की दुआ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम खुशकिस्मत हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला हमारे जीवनकाल में हुआ। जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये हमारी तीन पीढ़ियों के बलिदानों से हुआ है। उन्होंने कहा, ‘इस ऐतिहासिक कदम के बाद, आइए हम पीओके को पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्त करने की सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें और इसे संसद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव (1994) के अनुसार, देश का अभिन्न अंग बनाएं।’ उन्होंने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि पीओके को देश के साथ देख सकें और लोग आसानी से मुजफ्फराबाद जा सकें।
जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, तो पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। वहीं अक्साई चिन पर चीनी कब्जा है। पीओके का कुल क्षेत्रफल करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर है, जहां करीब 30 लाख लोग रहते हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अक्साई चिन शामिल नहीं है। यह इलाका महाराजा हरिसिंह के समय में कश्मीर का हिस्सा था। 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध के बाद कश्मीर के उत्तर-पूर्व में चीन से सटे इलाके अक्साई चिन पर चीन का कब्जा है।
आजादी के बाद भारत-पाक युद्ध में कश्मीर 2 हिस्सों में बंट गया। कश्मीर का जो हिस्सा भारत से लगा हुआ था, वह जम्मू-कश्मीर नाम से भारत का एक सूबा हो गया, वहीं कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सटा हुआ था, वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया।पीओके को लेकर पाकिस्तान की दोहरी नीति है। एक तरफ तो वह इसे आजाद कश्मीर कहता है तो दूसरी ओर यहां के प्रशासन और राजनीति में सीधा दखल कर यहां के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने में लगा है। यहां पर बाहरी लोगों को बसा दिया गया है। पीओके का शासन मूलत: इस्लामाबाद से सीधे तौर पर संचालित होता है। आजाद कश्मीर के नाम पर एक प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है, जो इस्लामाबाद का हुक्म मानता है।