विजयदशमी पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार की तारीफ की. इसके साथ ही मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर मोहन भागवत ने कहा कि इससे संघ का कोई लेनादेना नहीं है. मॉब लिंचिंग पर कड़े कानून बनाए जाने चाहिए.
नागपुर में सालाना पथ संचलन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर कहा कि कानून व्यवस्था की सीमा का उल्लंघन कर हिंसा की प्रवृत्ति समाज में परस्पर संबंधों को नष्ट कर अपना प्रताप दिखाती है. यह प्रवृत्ति हमारे देश की परंपरा नहीं है, न ही हमारे संविधान में यह है. कितना भी मतभेद हो, कानून और संविधान की मर्यादा में रहें. न्याय व्यवस्था में चलना पड़ेगा.
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं से संघ का कोई लेनादेना नहीं है. मॉब लिंचिंग को लेकर कानून बनाए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को पेश कर षड्यंत्र चलाया जा रहा है. ये सबको समझना चाहिए.
वहीं भागवत ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देश में बहुत कुछ अच्छा चल रहा है. सरकार ने कई कदम उठाए हैं. सरकार के पास कठोर निर्णय लेने की क्षमता है. हमारा देश पहले से ज्यादा सुरक्षित है. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना बड़ा कदम है. चंद्रयान-2 ने विश्व में भारत का मान बढ़ाया है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक का पहला आंदोलन ही देश में एक विधान और एक परिधान के लिए हुआ था. मोहन भागवत ने कहा कि इस सरकार में जनता ने विश्वास दिखाया है. सरकार ने भी कई कड़े फैसले लेकर बताया कि उसे जनभावना की समझ है. गुरु नानक देव की 550वीं जयंती, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, लोकसभा चुनाव जैसी कई घटनाएं हैं जिनकी वजह से यह साल कई सालों तक याद रहेगा.
मोहन भागवत ने कहा कि नई सरकार को बढ़ी हुई संख्या में फिर से चुनकर समाज ने उनके पिछले कामों की सम्मति और आने वाले समय के लिए बहुत सारी अपेक्षाओं को व्यक्त किया था. जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए, देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है. अनुच्छेद 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है.
अभी कुछ संकट हैं
उन्होंने कहा कि हमारे मार्ग के रोड़े, बाधाएं और हमें रोकने की इच्छा रखने वाली शक्तियों के कारनामे अभी समाप्त नहीं हुए हैं. हमारे सामने कुछ संकट हैं जिनका उपाय हमें करना है. कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर हमें देने हैं और कुछ समस्याएं हैं जिनका निदान कर हमें उन्हें सुलझाना है.
मोहन भागवत ने कहा कि सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति और हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं.
उग्रवादी हिंसा में कमी
मोहन भागवत ने कहा कि हमारी स्थल सीमा और जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है. केवल स्थल सीमा पर रक्षक और चौकियों की संख्या और जल सीमापर (द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी. देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आयी है. उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है.