मध्य प्रदेश में अब महापौर और नगरीय निकायों के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से ही होगा।
राज्यपाल लालजी टंडन ने मध्य प्रदेश नगर पालिक विधि संशोधन अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी है। इस प्रणाली में अब महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे।
मध्य प्रदेश में अब महापौर और नगरीय निकायों के अध्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुने जाएंगे। राजभवन के सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक,कमलनाथ सरकार के अध्यादेश को राज्यपाल लालजी टंडन ने मंज़ूरी दे दी है।
इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार शाम राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की थी। दोनों के बीच करीब आधे घंटे चर्चा हुई थी।
इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के ट्वीट के बाद राज्यपाल सरकार से खफा बताए जा रहे थे। लेकिन राज्यपाल की नाराज़गी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनसे मुलाक़ात की थी।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विवेक तन्खा के उस बयान को भी उनकी निजी राय बताया था जिसमें उन्होंने राज्यपाल को सलाह दी थी कि सरकार की अनुशंसा पर राज्यपाल फैसला करें।
तन्खा के ट्वीट के बाद मचे सियासी घमासान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर अध्यादेश रद्द करने की मांग की थी।
उसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ की सक्रियता और राज्यपाल से मुलाकात के बाद अध्यादेश पास होने के कयास लगाए जाने लगे थे।
राज्यपाल लालजी टंडन ने आज महापौर और अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सरकार के अध्यादेश पर अपनी मोहर लगा दी।
अब प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में महापौर अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा। इन दोनों को जनता ना चुनकर पार्षद चुनेंगे।
इस अध्यादेश को राज्यपाल की मंज़ूरी को एक तरह से मुख्यमंत्री कमलनाथ की जीत माना जा रहा है। दशहरे के मौके पर सरकार के लिए यह एक अच्छी ख़बर हो सकती है कि प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव कांग्रेस सरकार की मंशा के मुताबिक ही होंगे।
हालांकि राज्यपाल के अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा राज्यपाल का फैसला सर्वमान्य है। लेकिन पार्षदों की ख़रीद-फरोख्त रोकने के लिए सरकार को नगरीय निकायों में भी दल बदल कानून लागू करना चाहिए। इसके लिए भी सरकार अध्यादेश लाए।