नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। दिल्ली की एक निचली अदालत द्वारा दुष्कर्म के एक आरोपी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए कहा कि प्रेमिका से यौन संबंध बनाने के बाद उसे छोड़ना या उससे बेवफाई करना खराब बात हो सकती है, लेकिन यह कोई अपराध नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि यौन सहमति पर ‘ना का मतलब ना’ से आगे बढ़कर, अब ‘हां का मतलब हां’ तक व्यापक स्वीकार्यता है।
दरअसल इस मामले में आरोपी के खिलाफ उस महिला ने रेप का केस दर्ज कराया था, जिससे आरोपी ने शादी करने का वादा किया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस की अपील को खारिज करते हुए कहा कि निचली अदालत ने आरोपी को बरी करने का जो फैसला दिया था, उसमें कोई कमजोरी नहीं है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि प्रेमी या प्रेमिका से बेवफाई लोगों को बेहद खराब बात लग सकती है, लेकिन भारतीय दंड संहिता के मुताबिक यह कोई दंडनीय अपराथ नहीं है।
कोर्ट ने अपने फैसले में आगे कहा कि आरोपी के खिलाफ युवती ने दावा किया है कि यौन संबंधों के लिए उसकी सहमति स्वैच्छिक नहीं थी, बल्कि उससे शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए गए। यह बात सुनवाई के दौरान युवती साबित नहीं कर पाई। कोर्ट ने कहा कि युवक पर पहली बार दुष्कर्म के कथित आरोप के तीन महीने बाद ही महिला 2016 में आरोपी के साथ स्वेच्छा से होटल में जाती हुई दिखी। इसलिए इस बात में कोई दम नजर नहीं आता कि उसके साथ शादी का वादा करके संबंध बनाए गए।
इस मामले में युवती ने 2016 में युवक के ऊपर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। युवती ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसके और आरोपी के बीच प्रेम संबंध थे और युवक ने उसके साथ शादी करने का वादा किया था। युवती ने कहा कि आरोपी ने अपनी मां से मिलाने के लिए उसे अपने घर बुलाया, लेकिन वहां वह अकेला था। युवती ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी ने अपने घर पर ही उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके तीन महीने बाद युवक उसे एक होटल में लेकर गया और वहां भी उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद युवक ने युवती के साथ प्रेम संबंध खत्म कर लिए।