नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा के बीच सरकार बनाने को लेकर चल रही उठापटक के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने मुलाकात की है। अहमद पटेल जोकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं, उन्होंने आज नितिन गडकरी के घर पर उनसे मुलाकात की है। दोनों के बीच इस बैठक को इसलिए भी काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि भाजपा और शिवसेना ने एक साथ मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है, साथ ही उसने दावा किया है कि उसके पास तकरीबन 170 विधायकों का समर्थन है।
नितिन गडकरी से मुलाकात के बाद अहमद पटेल ने तमाम अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि मैंने उनसे महाराष्ट्र की राजनीति के बारे में कोई भी बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि नितिन गडकरी के साथ उनकी मुलाकात का महाराष्ट्र की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। मैं उनसे किसानों के मुद्दे पर बात करने के लिए गया था। अहम बात यह है कि दोनों ही नेताओं के बीच यह बैठक गुपचुप तरीके से नहीं हुई है। यह बैठक सार्वजनिक तौर पर हुई है। बैठक के दौरान नितिन गडकरी के घर के बाहर मीडिया का जमावड़ा भी था।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद के बीच सोमवार को दिल्ली में दो बड़ी बैठक हुई थी, पहली बैठक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अमित शाह के बीच हुई थी, जबकि दूसरी बैठक एनसीपी मुखिया शरद पवार और सोनिया गांधी के बीच हुई थी। लेकिन इन दोनों अहम बैठक के बाद भी कोई बड़ा फैसला महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर नहीं आया। लिहाजा इन तमाम उठापटक के बीच नितिन गडकरी और अहमद पटेल की बैठक को काफी अहम माना जा रहा है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को घोषित कर दिए गए थे। भाजपा और शिवसेना गठबंधन को चुनाव में पूर्ण बहुमत का आंकड़ा हासिल है, लेकिन दोनों ही दल मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े हुए हैं, जिसकी वजह से सरकार गठन में देरी हो रही है। बता दें कि 1990 में गडकरी शिवसेना-भाजपा की सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। लेकिन उन्होंने हाल ही में साफ किया था कि वह महाराष्ट्र की राजनीति में वापस लौटने पर विचार नहीं कर रहे हैं।
दरअसल नितिन गडकरी को आरएसएस नेतृत्व का करीबी माना जाता है। खुद शिवसेना ने आरएसएस से अपील की थी कि वह सरकार के जल्द गठन के लिए इस मसले पर हस्तक्षेप करे। बता दें कि आरएसएस और भाजपा के नेताओं ने तमाम मुस्लिम संगठनों के नेताओं से भी मुलाकात की थी। यह मुलाकात अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले देश में शांति और सौहार्द को बरकरार रखने के लिए की गई थी। माना जा रहा है कि 17 नवंबर से पहले सुप्रीम कोर्ट अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुना सकता है।