पुलिस, दमकल और मेडिकल जैसी मदद के लिए सेंट्रलाइज्ड 112 नंबर दिल्ली में भी शुरू हो चुका है, लेकिन अब भी पुलिस की मदद मांगने के लिए बहुत से लोग 100 नंबर पर कॉल करते हैं। ऐसे लोगों को 8 नंबर बटन दबाना होता है, तब कॉल पुलिस कंट्रोल रूम में कनेक्ट होती है। पुलिस के मुताबिक, 100 और 112 नंबर पर रोजाना साढ़े पांच लाख से 6 लाख कॉल्स आती हैं।
मुसीबत में फंसे लोगों तक दिल्ली पुलिस की पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) अब और जल्दी पहुंच सकेगी। दरअसल, पीसीआर के बेड़े में 550 गाड़ियां और जुड़ने वाली हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में इन्हें खरीदने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। इनके आने के बाद पीसीआर को मदद के लिए कॉल करने पर पुलिस की गाड़ी महज 5 से 7 मिनट के अंदर पहुंच जाएगी, जिसमें अभी औसतन 10-12 मिनट लगते हैं।
ये गाड़ियां अगले छह महीने में पीसीआर फ्लीट में फेज वाइज शामिल हो जाएंगी। इनमें इनोवा, स्कॉर्पियो और अर्टिगा के अलावा और अन्य एसयूवी भी होंगी। डीसीपी (पीसीआर) शरत कुमार सिन्हा ने बताया कि अभी दिल्ली पुलिस के पास पीसीआर की करीब 900 गाड़ियां हैं। 550 नई गाड़ियों का इजाफा होने वाला है। उन्होंने बताया कि अभी कोशिश यही रहती है कि कॉल आने के 10 मिनट के अंदर पीसीआर क्राइम सीन पर पहुंच जाए।
उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में ट्रैफिक जाम होने या अन्य तकनीकी वजहों से पीसीआर को पहुंचने में 20-30 मिनट तक लग जाते हैं। लेकिन नई 550 गाड़ियां आ जाने से पीसीआर का रिस्पॉन्स टाइम घटकर 5 से 7 मिनट का रह जाएगा। यानी इधर मदद के लिए कॉल आई और उधर पीसीआर मौके पर पहुंची।
पुलिस, दमकल और मेडिकल जैसी मदद के लिए सेंट्रलाइज्ड 112 नंबर दिल्ली में भी शुरू हो चुका है, लेकिन अब भी पुलिस की मदद मांगने के लिए बहुत से लोग 100 नंबर पर कॉल करते हैं। ऐसे लोगों को 8 नंबर बटन दबाना होता है, तब कॉल पुलिस कंट्रोल रूम में कनेक्ट होती है। पुलिस के मुताबिक, 100 और 112 नंबर पर रोजाना साढ़े पांच लाख से 6 लाख कॉल्स आती हैं।
उन्होंन बताया कि इनमें से तकरीबन 95 फीसदी कॉल 8 नंबर ना दबाने पर ड्रॉप हो जाती हैं। बाकी में से 15 से 20 हजार कॉल तरह-तरह की जानकारियां मांगने के लिए आती हैं। अपराध होने पर पुलिस की मदद मांगने के लिए कॉल्स 5-6 हजार ही होती हैं। इनमें 3-4 हजार ही कॉल होती हैं, जिन पर पीसीआर भेजने की जरूरत पड़ती है।