लखनऊ: लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू किए जाने को सोमवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यूपी कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। लखनऊ में सुजीत पांडेय की कमिश्नर पद पर तैनाती की गई है। वहीं, आलोक सिंह नोएडा के पहले पुलिस कमिश्नर बनाए गए हैं। बता दें कि 15 राज्यों के 71 शहरों में कमिश्नरेट प्रणाली पहले से लागू है। यूपी में सीएम योगी के सत्ता संभालने के बाद इस सिस्टम के लिए कवायद शुरू तो हुई थी, लेकिन ब्यूरोक्रेसी के दबाव में बात अंजाम तक नहीं पहुंच पाई थी।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ’50 वर्षों में पुलिस सुधार का सबसे बड़ा कदम उठाया है। लखनऊ और नोएडा में हम पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू कर रहे हैं। समय समय पर विशेषज्ञ के सुझाव दिये गए थे लेकिन करवाई न होने से न्यायपालिका सरकारों को कठघरे में खड़ा करती थी। पुलिस ऐक्ट में भी 10 लाख से ऊपर की आबादी पर कमिश्नर प्रणाली लागू करने की बात है लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति न होने के चलते ऐसा न हो सका। हमारी सरकार ने इस प्रणाली को स्वीकृति दी है।’
सीएम योगी ने कहा, ‘लखनऊ की आबादी आज करीब 40 लाख है और नोएडा में 25 लाख से अधिक आबादी है। नोएडा में 25 लाख की आबादी रहती है। ऐसे में महिला सुरक्षा के लिए महिला आईपीएस की तैनाती की जा रही है। उसके साथ एक महिला एएसपी की भी तैनाती होगी। इसके अलावा नोएडा में दो नए थाने बनाए जाएंगे।’
उधर, नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम में पुलिस के अधिकार को लेकर बहस शुरू हो गई है। नए सिस्टम से शहरों में कानून व्यवस्था बेहतर होने के दावे से रिटायर्ड आईएएस अधिकारी इत्तेफाक नहीं रखते। उनका तर्क है कि नए सिस्टम से आम लोगों का जो संवाद डीएम के माध्यम से प्रशासन से होता है, वह नहीं हो सकेगा।
रिटायर्ड अफसरों के मुताबिक, डीएम-एसएसपी का सिस्टम सबसे अच्छा है। ऐसे में नए सिस्टम का कोई औचित्य नहीं है। वहीं, राजस्व और उसकी वसूली से जुड़े अधिकार पुलिस कमिश्नर को न दिए जाने की चर्चा के बीच पूर्व पुलिस प्रमुखों का कहना है कि सिर्फ नाम के लिए कमिश्नर बैठाए जाने से कुछ नहीं होगा। उनके मुताबिक, पूरे अधिकार मिलें, तभी नया सिस्टम असरदार साबित होगा
यूपी के पूर्व मुख्य सचिव योगेंद्र नारायण के मुताबिक, अगर पुलिस के स्तर से कोई गड़बड़ी होती है तो डीएम से संवाद किया जाता है। मगर नई व्यवस्था के लागू होने से यह संवाद खत्म हो जाएगा। मौजूदा व्यवस्था ज्यादा बेहतर है। जिन शहरों में कमिश्नर सिस्टम लागू है, वहां इसके अच्छे परिणाम नहीं हैं। दिल्ली इसका हालिया उदाहरण है। वहीं, पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि डीएम-एसएसपी की व्यवस्था में चेक ऐंड बैलेंस होता है। अगर पुलिस कोई गड़बड़ी करती है तो इसकी शिकायत डीएम से होती है। वर्तमान व्यवस्था में कोई कमी नहीं है। क्राइम कंट्रोल के मामले में डीएम का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।