ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। उनके भाजपा में शामिल होने से मध्यप्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया है।
वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सासंद राहुल गांधी ने सिंधिया को लेकर कहा है कि वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंता में थे, इसलिए उन्होंने अपनी विचारधारा छोड़कर आरएसएस-भाजपा के साथ चले गए।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है, एक तरफ कांग्रेस और दूसरी तरफ भाजपा-आरएसएस है। मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया की विचारधारा को जानता हूं, वह मेरे साथ कॉलेज में थें, मैं उनको अच्छी तरह जानता हूं।
उन्होंने कहा कि वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित थे, इसलिए वह अपनी विचारधारा छोड़कर आरएसएस-भाजपा के साथ चले गए।
वायनाड सांसद ने कहा कि वास्तविकता यह है कि उन्हें वहां (भाजपा) सम्मान नहीं मिलेगा और वे संतुष्ट नहीं होंगे। उन्हें इसका एहसास होगा, मुझे यह पता है क्योंकि मैं उनका लंबे समय से दोस्त हूं। उनके दिल में क्या है और उनके मुंह से क्या निकल रहा है, यह पूरी तरह अलग है।
राहुल से जब सवाल किया गया कि आखिर वह अपनी कोर टीम के सदस्यों को राज्यसभा क्यों नहीं भेज रहे हैं? इस पर कांग्रेस नेता ने जवाब दिया कि मैं कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं हूं, मैं राज्यसभा के लिए नामांकित व्यक्तियों पर कोई निर्णय नहीं ले रहा हूं।
उन्होंने कहा कि मैं देश के युवाओं को अर्थव्यवस्था के बारे में बता रहा हूं। मेरी टीम में कौन है, मेरी टीम में कौन नहीं है, इसका कोई मतलब नहीं है। हम देख सकते हैं कि शेयर बाजार में क्या हो रहा है, मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था तबाह कर दी है।
राहुल गांधी ने शेयर बाजार में भारी गिरावट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर देश की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने का आरोप लगाया।
इसके साथ ही राहुल ने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए।
गांधी ने यह भी दावा किया कि भारत एक देश के तौर पर संकट की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था को लेकर बेखबर हैं।
उन्होंने कहा कि हमने देखा कि शेयर बाजार में क्या हुआ है। लाखों लोगों का नुकसान हुआ है। अर्थव्यवस्था की हालत सब देख रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी जी और उनकी विचारधारा ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया। उनके मुंह से अर्थव्यवस्था के बारे में एक शब्द नहीं निकल रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तो अर्थव्यवस्था की समझ ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत क्यों हुई है। उनके पास इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए क्या नीति है।