इटली प्रशासन का कहना है कि पाबंदियों को सख्त किए जाने के बाद रोजाना संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या घटकर आठ प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह संख्या 21 फरवरी के बाद से सबसे कम है। इस बीमारी के कारण देश में सबसे ज्यादा 6,820 लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के न्यूयॉर्क में अबतक 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं 160 लोगों की मौत हो चुकी है।
ब्रिटेन/इटली: ब्रिटेन का लंदन और स्पेन का मैड्रिड पूरी दुनिया में फैल चुके कोरोना वायरस के नए केंद्र बनने वाले हैं। यहां हर दो दिन में मौतें दो गुना तक बढ़ रही हैं। अब तक यूरोप में इटली और लॉम्बार्डी इस महामारी का केंद्र बना हुआ था। हालत यह है कि लंदन में चार दिन बाद अस्पतालों में जगह नहीं बचेगी। दुनियाभर में लगभग 4.15 लाख लोग इस घातक बीमारी की चपेट में हैं।
इटली प्रशासन का कहना है कि पाबंदियों को सख्त किए जाने के बाद रोजाना संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या घटकर आठ प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह संख्या 21 फरवरी के बाद से सबसे कम है। इस बीमारी के कारण देश में सबसे ज्यादा 6,820 लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के न्यूयॉर्क में अबतक 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं 160 लोगों की मौत हो चुकी है।
इटली में 31 जुलाई तक लॉकडाउन है। बीते एक हफ्ते में एक लाख से ज्यादा लोगों ने लॉकडाउन के नियम को तोड़ा है। जिसकी वजह से सख्ती को बढ़ाते हुए जुर्माना राशि को 25 गुना बढ़ा दिया गया है। अब नियम तोड़ने वालों को 17 हजार नहीं बल्कि ढाई लाख रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ेगा। लोगों को रोकने के लिए सड़कों पर सेना लगाई हुई है। जिसका असर दिखाई दे रहा है।
कारों में बनाए जा रहे हॉस्पिटल के वार्ड
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के अनुसार लंदन में चार दिन में आईसीयू के बेड पूरी तरह से भर जाएंगे। अगले 14 दिनों में यही स्थिति पूरे ब्रिटेन की हो जाएगी। नार्थविक पार्क अस्पताल की एक नर्स के हवाले से बताया गया है कि उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोविड-19 के गंभीर रोगियों को मरने के लिए छोड़ दिया जाए। इटली की ही तरह ऐसे लोगों को वेंटिलेटर से हटा लिया जाए। प्राथमिकता युवाओं को बचाने की है।