देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की दर जिस तरह भयावह रूप से बढ़ रही है उसे देखते हुए यह अनुमान लगाए जा रहे थे कि 31 मई को लाक डाउन के चौथे चरण की अवधि पूर्ण होने के पहले ही केंद्र सरकार लाक डाउन के पांचवें चरण की घोषणा कर देगी परंतु केंद्र सरकार ने लगभग सवा दो माह के बाद लाक डाउन का न केवल रूप रंग पूरी तरह से बदल दिया बल्कि उसे नया नाम भी दे दिया |केन्द्र ने इसे अन लाक -1 नाम दिया है और जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, इसका उद्देश्य सवा दो माह तक ठप रहीं अधिकांश सामाजिक आर्थिक गतिविधियों को पुन:प्रारंभ कर आम जन जीवन को सामान्य बनाना है | केन्द्र सरकार के द्वारा 1जून से अनलाक-1 की घोषणा जरूर कर दी गई है परंतु गत सवा दो माह से जारी लाक डाउन भी किसीन किसी रूप में जारी है और इसमें भी दो मत नहीं हो सकते कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए लाक डाउन को एकदम पूरी तरह से उठा लेने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती |
फिर भी अन लाक -1 के माध्यम से सरकार ने इतनी रियायतें तो दे ही दी हैं कि आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत करके सामान्य जनजीवन को पहले की भांति सहज बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ सकें | अब यह हम पर निर्भर है कि हम इन रियायतों के प्रयोग में कितनी एहतियात बरतते हैं | देश में लगभग सवा दो माह के लाक डाउन के बाद अनलाक -1 के माध्यम से जनजीवन को सामान्य बनाने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं |30 जून तक चलने वाले अन लाक -1 की शुरुआत यूं तो लाक डाउन 4.0 की अवधि समाप्त होने की तारीख़ 31 मई के अगले दिन से ही हो चुकी है परंतु इसको अमल में लाने की तारीख़ 8 जून तय की गई है |
8 जून से देश के अधिकांश राज्यों में जनजीवन को सामान्य बनाने वाली अधिकांश गतिविधियां प्रारंभ करने कीरूपरेखा पहले ही बन चुकी थी लेकिन यह भी विशेष गौर करने लायक बाद है कि अभी भी कुछ राज्य लाक डाउन 5.0के स्थान पर अन लाक -1 लाने के केन्द्र सरकार के फैसले के पक्ष में नहीं है | ये राज्य 1 जून से पुन: 15 दिनों के लिए लाक डाउन बढाए जाने की उम्मीद कर रहे थे परंतु जब केंद्र सरकार ने 1जून से अन लाक -1की घोषणा कर दी तो इन राज्यों की सरकारों ने अपने स्तर पर लाक डाउन जारी रखने का फैसला ले लिया | बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब ,गोवा एवं प. बंगाल ,उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु की सरकारों ने किसी न किसी रूप में लाक डाउन को जारी रखते हुए अन लाक -1 को लागू करने की दिशा में धीरे धीरे आगे बढने का फैसला किया है | इसके कारण कहीं कहीं भ्रम की स्थिति भी निर्मित होती दिखाई दे रही है | इस भ्रम की स्थिति को समाप्त करना संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है | केन्द्र सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि केन्द्र द्वारा अन लाक -1 में दी गई रियायतों को राज्य सरकारें अपनी मर्जी से बढा नहीं सकतीं , वे इन रियायतों को कम अवश्य कल सकती हैं |
अब देखना यह है कि जिन सरकारों ने अपने राज्य में लाक डाउन 5.0की शुरुआत कर दी है वे क्या कोरोना संक्रमण को उक्त अवधि में इतना नियंत्रित कर पाती हैं कि वहां अनलाक को सही मायनों में लागू किया जा सके |देश में कोरोना संक्रमण जब नियंत्रण से बाहर हो चुका है तब अन लाक -1 के माध्यम से लगभग सारी गतिविधियों के लिए रास्ता खोल देना निसंदेह एक जोखिम भरा कदम लगता है |देश में जिस तेज़ी से प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए देश में यह आंकडा शीघ्र ही 2 लाख को पार करने की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं |अब तक लगभग साढे पांच हज़ार लोगों को कोरोना वायरस मौत की नींद सुला चुका है |
अगर दुनिया के दूसरे देशों से तुलना करें तो हम कोरोना संक्रमण के मामले में दुनिया में दसवें से सातवें स्थान पर चुके हैं | मुंबई की तुलना कभी मास्को तो कभी वुहान से की जाने लगी है | देश के अनेक बजे शहरों में कोरोना संक्रमण की गंभीरता अब डराने लगी है इसीलिए कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां लाक डाउन को जारी रखने का फैसला किया है | दर असल देश में लाक डाउन के दौरान अधिकांश सामाजिक आर्थिक गतिविधियां ठप रहने से अर्थ व्यवस्था को जो नुकसान पहुंचा है उसको देखते हुए सरकार के लिए अन लाक -1 के जरिए इन रुकी हुई गतिविधियों को पुन: शुरू करने की पहल करना आवश्यक हो गया था इसीलिए केंद्र सरकार ने 1 जून से 30 जून तक अन लाक -1 जारी रखने की घोषणा की |
लाक डाउन 4.0 की अवधि समाप्त होने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि कोरोना से लड़ने के लिए इस उपाय को हम अनिश्चितकाल तक प्रयोग में नहीं ला सकते |दुनिया के और दूसरे देश भी एक समय के बाद लाक डाउन से बाहर आकर अथवा लाक डाउन में अधिकतम रियायते देकर जन जीवन को सामान्य बनाने की दिशा में आगे बढ चुके हैं |
यही रास्ता हमने भी अख्तियार किया है | लेकिन अब यह हमें तय करना है कि अन लाक -1 को हम किस रूप में लेते हैं |अन लाक-1 में हमारी दिनचर्या ही यह तय करेगी कि क्या हम खुद को सुरक्षित रखते हुए कोरोना के साथ जीने की आदत डालने में समर्थ हैं | | कोरोना की प्रकृति और प्रभावों के बारे में शोध कर रहे वैग्यानिक और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ लगातार यह चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण जून और जुलाई में अपने चरम पर होगा| इसका मतलब यह है कि हमें इन दो मागें में पहले से भी अधिक सतर्कता बरतनी होगी | वैज्ञानिकों ने यह संकेत भी दे दिए हैं कि बरसात के मौसम में नमी बनने पर भी कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है | इसलिए आगे आने वाले समय में हमारे संयम और सतर्कता की जो परीक्षा होने जा रही है उसमें हमारी सफलता से यह तय होगा किे कोरोना को जीवन का हिस्सा बनाकर आगे बढ़ने की कितनी इच्छा शक्ति हमारे अंदर मौजूद है |
:-कृष्णमोहन झा