लॉकडाउन के दौरान ईएमआई स्थगन के दौरान ब्याज में छूट की याचिका पर सुनवाई के दौरान Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से कहा है कि वह स्थिति को रिव्यू करे। अदालत ने सरकार से कहा है कि वह इस मामले में हाथ खड़े नहीं कर सकती।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ये बयान देकर नहीं पल्ला छुड़ा सकता है कि ये मामला बैंक और उनके कस्टमर के बीच का है। अगर केंद्र सरकार ने मोरेटोरियम (ईएमआई के स्थगन) की घोषणा की थी तो ये उसे तय करना चाहिए कि कस्टमर को तार्किक लाभ मिले। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से कहा है कि वह स्थिति की समीक्षा करे।
सुप्रीम कोर्ट साथ ही कहा कि इंडियन बैंक असोसिएशन देखेगी कि क्या मोरेटोरियम के मुद्दे पर कोई नई गाइडलाइंस आएगी या नहीं। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में हाथ खड़े नहीं कर सकती।
केंद्र सरकार ये नहीं कह सकती कि ये मामला बैंक और कंस्टमर के बीच का है। केंद्र सरकार ने जब मोरेटोरियल की घोषणा की थी तो उसे सुनिश्चित करना होगा कि कस्टमर को लाभ मिले। केंद्र सरकार ने इस समस्या के निदान के लिए समय लिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। केंद्र सरकार ये नहीं कह सकती कि इसे बैंक पर छोड़ा जाए।
दरअसल लॉकडाउन में ईएमआई पर ब्याज छूट की मांग पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ब्याज में छूट संभव नहीं है। इस कारण बैंक की आर्थिक स्थिरता पर फर्क पड़ेगा और आखिर में बोझ डिपॉजिटर पर ही पड़ेगा। Supreme Court