खंडवा : कोरोना का असर त्योहारों के साथ साथ त्योहारों से जुड़े व्यवसाय पर भी पड़ा है । खंडवा में गणेशचतुर्थी को लेकर जिला प्रशासन ने दो फिट से बड़ी गणेश जी की प्रतिमाएं नही बेचने के आदेश जारी किए है । इस आदेश के बाद मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों की नींद उड़ गई है । मूर्तियां बनाने वाले कुम्हार समाज ने 3 महीने पहले से ही प्रतिमाओ को बनाना शुरू कर दिया था इन लोगों का कहना है कि यदि पहले से ही आदेश दे दिए जाते तो वह सीमित ऊंचाई की प्रतिमाएं ही बनाते लेकिन ऐन वक्त पर आदेश निकालने से इनका बड़ा नुकसान हुआ है । अब इनकी बनाई हुई बड़ी मूर्तिया ये नही बेच सकेंगे जिसको लेकर ये लोग चिंतित है।
शनिवार 22 अगस्त से 10 दिवसीय गणेश उत्सव प्रारंभ होने वाला है। उसके बाद नवरात्रि और फिर दीपावली का त्यौहार है। खंडवा में सभी प्रमुख चौराहों पर गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जाती है साथ ही घर घर भी गणेश जी की स्थापना की जाती है। गणेश उत्सव को देखते हुए खंडवा के कुम्हार समाज के लोग तीन चार महीने पहले से ही गणेश प्रतिमाएं बनाना शुरू कर देते हैं। इन लोगों ने कोरोना संक्रमण के चलते महाराष्ट्र राज्य की तर्ज पर 4 फ़ीट ऊंचाई तक कि मूर्तियां बनाई है। इस उम्मीद में की म प्र में भी 4 फ़ीट तक कि अनुमति मिलेगी।
मूर्तिकार सुनील प्रजापति के अनुसार कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला कलेक्टर ने 2 फीट से ज्यादा ऊंचाई की गणेश प्रतिमाओं के विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में कुम्हार समाज के मूर्ति बनाने वाले लोगों के सामने संकट पैदा हो गया है। लोगों का कहना है कि कुम्हार समाज के अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए वह कर्ज लेकर मूर्तियां बनाते हैं। और उन्हें बेच कर जीवन यापन करते हैं। जिला कलेक्टर ने ऐन वक्त पर आदेश निकाल दिया ऐसे में इन लोगों को न केवल कर्ज चुकाने की बल्कि अपना परिवार पालने की चिंता सताने लगी है।
मूर्तिकार प्रवीण प्रजापति का कहना है की कुम्हार समाज के ज्यादातर लोग बहुत ही पिछड़े हुए हैं। इनकी पूरी अर्थव्यवस्था तीज त्योहारों पर पूजा पाठ के लिए बनाई जाने वाली मूर्तियों पर निर्भर रहती है। यह लोग गणेश जी, माता दुर्गा और लक्ष्मी जी की प्रतिमा बनाकर साल भर अपना जीवन चक्र चलाते हैं।
खंडवा में लगभग डेढ़ सौ कुमार समाज के परिवार है जो साल भर मिट्टी के सामान और मूर्तियां बनाते हैं खासकर गणेश जी दुर्गा जी और लक्ष्मी जी की मूर्तियां बनाने के लिए यह लोग तीन चार महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। इन लोगों के सामने कर्जदारों का कर्जा चुकाने का संकट दिखाई देने लगा है। प्रत्येक कुम्हार परिवार को इस कारण डेढ़ से दो लाख रु तक का नुकसान होता दिखाई दे रहा है ।
इधर जिला प्रशासन अपने निर्णय पर अडिग हैं। खंडवा नगर निगम उपायुक्त दिनेश मिश्रा का कहना है कि वह मूर्तियां बेचने के लिए बाजार शुल्क आधा और बिजली की व्यवस्था निशुल्क कर देंगे लेकिन मूर्तियां तो 2 फीट तक ही बेचने की अनुमति देंगे।