बीते 6 दिसंबर को भारत और बांग्लादेश ने अपने द्विपक्षीय संबंधों की 49वीं वर्षगांठ मनाई। यह वही दिन है, जब वर्ष 1971 में भारत ने बांग्लादेश को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दी थी। इस अवसर पर बांग्लादेश में पदस्थ भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दुरईस्वामी ने राजधानी ढाका के जदुघर में स्थित वार मेमोरियल का दौरा किया और बांग्लादेश की आजादी में शहीद हुए मुक्तिवाहनी के सैनिकों को श्रृद्धांजलि दी। भारतीय उच्चायुक्त का यह दौरा दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगले वर्ष 26 मार्च को बांग्लादेश अपनी आजादी की 50वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है और इस दिन को खास बनाने के लिए दोनों देश लगातार प्रयासरत हैं। संभावना यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बतौर मुख्य अतिथि बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हों।
वैसे देखा जाए तो भारत-बांग्लादेश का संबंध एक नफरत और प्यार की बुनियाद पर आधारित है। एक तरफ जहां दोनों देश पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से त्रस्त हैं, वहीं दूसरी तरफ साझा संस्कृति, इतिहास, भाषा और साहित्य दोनों देशों के रिश्तों को प्रगाढ़ बनाते हैं। वर्षों से भाई चारे से लबरेज रिश्ते के साथ विकास के पथ पर अग्रसित दोनों देशों के संबंधों में 2009 में शेख हसीना के बांग्लादेश का प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद कमी देखने को मिली। लेकिन 2014 में भारतीय जनता पार्टी के नेता नरेन्द्र मोदी के भारत का प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद से भारत-बांग्लादेश के संबंध पहले से बेहतर हुए हैं। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की ढाका यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने स्वैच्छिक समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए 41 वर्ष पुराने भूमि सीमा विवाद का समाधान कर इतिहास रचा। इससे बांग्लादेश और भारत के द्विपक्षीय संबंधों की सबसे बड़ी अड़चन समाप्त हुई।
भारत के उत्तर-पूर्वी शेत्र में शांति स्थापित करने में शेख हसीना ने प्रधानमंत्री मोदी का सहयोग किया। उन्होंने उन आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जो भारतीय सेना के एक्शन में आने के बाद बांग्लादेश की सीमा चले गए थे। यह एक तरह से पूरे विश्व को संदेश था कि आतंकवाद के मुद्दे पर बंग्लादेश भारत का हमराही है। यही नहीं वैश्विक संकट कोरोना के दौरान भारत और बांग्लादेश ने आपसी संबंधों की नई इबारत लिखी। इसमें सबसे बड़ी भूमिका भारतीय विदेश मंत्रालय ने निभाई, जिसने मेडिकल कूटनीति के माध्यम भारत के मानवतावादी विचार को बांग्लादेश ही नहीं वरन पूरे विश्व के समक्ष रखा। मेडिकल कूटनीति पर चलकर इसी वर्ष अप्रैल में भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की एक लाख गोलियां और 50 हजार सर्जिकल दस्ताने सहित अन्य चिकित्सा सामग्री को बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्री जाहिद मलिक को सौंपा था। इससे पहले भारत ने बांग्लादेश के चिकित्सा कर्मियों के लिए हेड कवर और मास्क दिया था। इसके साथ ही सितम्बर में हुई संयुक्त परामर्श आयोग (जेसीससी) की 6वीं बैठक में बांग्लादेश में कोविड-19 टीके के तीसरे चरण के परीक्षण, टीके के वितरण, सह-उत्पादन व वितरण से जुड़ी आवश्यक जानकारियों के आदान-प्रदान में तेजी लाने को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति भी बनी थी।
भारत और बांग्लादेश के द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों में और तेजी तब देखने को मिली, जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर एवं रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जुलाई में 10 ब्रॉडगेज इंजन को बांग्लादेश रवाना किया। यही नहीं इसी महीने भारत से बांग्लादेश के लिए शुरू की गई कंटेनर ट्रेन सेवा, दोनों देशों के संबंधों में स्थिरता लाने के साथ ही ‘गेम चेंजर’ साबित होने जा रही है। इस ट्रेन को कोलकाता के माजेरहाट टर्मिनल से बांग्लादेश के बेनापोल स्टेशन भेजा गया। 50 कंटेनरों वाली इस ट्रेन में साबुन, शैम्पू और कपड़ा जैसी वस्तुओं को ले जाया गया। यह सेवा ट्रक में माल परिवहन की सेवा के मुकाबले काफी सस्ती और तेज है। अपने समुद्री संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए नवंबर में भारत-बांग्लादेश ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया। जिसके तहत बांग्लादेश से नदी के रास्ते पहला वाणिज्यिक मालवाहक पोत सामान की पहली खेप लेकर रवाना किया गया। यह पोत दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।
विगत 6 वर्षों में दोनों देशों ने आपसी संबंधों को बेहतर करते हुए नया इतिहास रचा है। द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत-बाग्लादेश ने रक्षा के क्षेत्र में भी आपसी संबंधों को मजबूत किया है। इसी वर्ष फरवरी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘संप्रीति’ का 9वां संस्करण मेघालय के उमरोई में आयोजित हुआ। दो हफ्ते तक चले इस युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य भारत और बंग्लादेश की सेनाओं के बीच अंतर-संचालन तथा सहयोग के पक्षों को मजबूत और व्यापक बनाना था। आपसी विश्वास और भरोसे पर आधारित दोनों देशों के संबंध आज सभी क्षेत्र में तेज गति से मजबूत हो रहे हैं। इस दिशा में प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ वाले दर्शन का अनुसरण करते हुए नेबरहुड फर्स्ट की नीति पर चलकर भारतीय विदेश मंत्रालय और ढाका स्थित उसका मिशन दोनों देशों के रिश्तों में मिश्री घोलने का कार्य कर रहा है।
शांतनु त्रिपाठी
स्वतंत्र पत्रकार