नई दिल्ली : बाबा रामदेव ने आज कोरोना की दवा कोरोनिल लॉन्च की है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ‘चमत्कार के बगैर कोई नमस्कार नहीं होता’ उन्होंने कहा कि लगातार रिसर्च करना समय की आवश्यकता है। वहीं इस मौके पर डॉ. हर्षवर्धन भी मौजूद रहे। इस नई दवा की घोषणा पर पतंजलि योगपीठ का दावा है कि कोरोना के उपचार में काम आने वाली दवा ‘Evidence Based’ है।
पतंजलि ने जो नई दवाएं लॉन्च की हैं, उनमें कोरोनिल और श्वासारी के अलावा पीड़ानिल, आर्थोग्रिट, मधुनाशिनी व मधुग्रिट, मुक्तावटी, थायरोग्रिट, प्रोस्टोग्रिट, इम्यूनोग्रिट, सिस्टोग्रिट आदि प्रमुख हैं। कोरोना वैक्सीन को लेकर पतंजलि के रिसर्च पेपर का विमोचन करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पतंजलि और केंद्र सरकार का एक ही सपना है कि नई तकनीक के आधार पर आयुर्वेद को स्थापित किया जा सके।
बाबा रामदेव का सपना, हमारा सपना
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दुनिया के कई देशों ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड , कोलंबिया, मॉरिशस, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन ने भारत के आयुर्वेद को अपने रेगुलर मेडिसिन सिस्टम में लागू किया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का डिग्री लिया हुआ डॉक्टर इन देशों में जाकर प्रैक्टिस कर सकता है। आयुर्वेद के बारे में वेदों से लेकर सभी स्थानों पर जानकारियां उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब मुझे थोड़े समय के लिए स्वास्थ्य मंत्री बनने का मौका मिला था तब पीएम मोदी ने 2014 में आयुष मंत्रालय की स्थापना की थी, आयुर्वेद के संदर्भ में बाबा रामदेव का सपना है वही हमारा सपना भी है।
लॉन्चिंग के मौके पर बाबा रामदेव ने कहा कि मोदी सरकार का काम 638000 गांवों में जमीन पर दिखता है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने हरिद्वार से दिल्ली की दूरी को 6 घंटे से तीन घंटे का कर दिया है। बाबा रामदेव ने कहा कि, इस दवा के लिए जितने भी पैरामीटर्स होते हैं, सभी का पालन किया गया है। कोरोनिल पर बहुत लोगों ने सवाल उठाए थे, लोग शक की निगाह से देखते हैं।
WHO का हेड ऑफिस भारत बने
बाबा रामदेव ने कहा कि- पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट और पुरुषार्थ से विश्व को करोना जैसी महामारी से मुक्ति दिलाने की यह सफल अनुसंधान संभव हो पाया है। यह औषधि आपके शरीर में प्रवेश कोरोना की कार्यप्रणाली को बाधित करने की चेष्टा रखती है। बाबा रामदेव ने कहा कि ‘कुछ लोग दवाएं बनाते हैं व्यापार के लिए, लेकिन हमने दवा बनाई उपचार और उपकार के लिए।’ उन्होंने कहा कि ‘मैं तो चाहता हूं कि एक समय के बाद WHO का हेड ऑफिस भारत में बन जाए।’