नई दिल्लीः पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए कथित तौर पर भारत में विपक्षी नेताओं और पत्रकारों की जासूसी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वरिष्ठ वकील मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है। साथ ही भारत में पेगासस की खरीद पर रोक लगाने की अपील की गई है।
पेगासस जासूसी मामले को लेकर देश में विपक्षी नेता मोदी सरकार पर हमलावर हैं। बुधवार को संसद में इस मामले पर जोरदार बहस हुई। कांग्रेस संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग कर रही है। वहीं अन्य विपक्षी पार्टियां सरकार से सफाई मांग रही है। हालांकि, सरकार इस जासूसी मामले को पहले ही खारिज कर चुकी है।
अधिवक्ता एम एल शर्मा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पेगासस कांड गहरी चिंता का विषय है और यह भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश की सुरक्षा पर गंभीर हमला है। व्यापक स्तर और बिना किसी जवाबदेही के निगरानी करना नैतिक रूप से गलत है।
याचिका में कहा गया है कि पेगासस का उपयोग केवल बातचीत सुनने के लिए नहीं होता, बल्कि इसके उपयोग से व्यक्ति के जीवन के बारे में पूरी डिजिटल जानकारी हासिल कर ली जाती है और इससे ना केवल फोन इस्तेमाल करने वाला असहाय हो जाता है, बल्कि उसकी संपर्क सूची में शामिल हर व्यक्ति ऐसा महसूस करता है।
याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि जासूसी संबंधी इस खुलासे से राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि निगरानी प्रौद्योगिकी विक्रेताओं अत्यधिक बढ़ोतरी’’ वैश्विक सुरक्षा और मानवाधिकार के लिए समस्या है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि ऐसा बताया जा रहा है कि एनएसओ ग्रुप कंपनी के ग्राहकों ने 2016 के बाद से करीब 50,000 फोन नंबर को निशाना बनाया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘पेगासस केवल निगरानी उपकरण नहीं है। यह एक साइबर-हथियार है जिसे भारतीय सरकारी तंत्र के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। भले ही यह आधिकारिक हो (जिसे लेकर संशय है), लेकिन पेगासस का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है।’’ याचिका में जासूसी के लिए पेगासस को खरीदने को अवैध एवं असंवैधानिक करार देने का अनुरोध किया गया है।